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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से अखिलेश यादव, मायावती और जयंत चौधरी ने क्‍यों बनाई दूरी? ये है वजह

 भारत जोड़ो यात्रा मंगलवार को यूपी में प्रवेश कर गई.

भारत जोड़ो यात्रा मंगलवार को यूपी में प्रवेश कर गई.

Bharat Jodo Yatra News: भारत जोड़ो यात्रा का जो रूट तय किया गया है. इसके लिए सपा, बसपा और रालोद को सोचने के लिए मजबूर ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

90 के दशक से पहले यूपी में कभी मुसलमान और दलित कांग्रेस का कोर वोट बैंक हुआ करते थे.
1951 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की थी. इस चुनाव में पार्टी को 388 सीटें मिलीं.

दिल्ली. 7 सितम्बर से शुरू हुई राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) मंगलवार को यूपी में प्रवेश कर गई. दिल्ली के सिंहासन तक पहुंचने के लिए खास उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नए सिरे से रणनीति तैयार कर रही है. खासकर 1990 से पहले वाला अपना खोया वोट बैंक फिर से जुटाना चाहती है. इसके लिए एक अध्यक्ष समेत छह प्रांतीय अध्यक्ष की तैनाती कर सामाजिक-जातीय समीकरण साधने की कोशिश की. वहीं भारत जोड़ो यात्रा में विपक्ष को भी एकजुट करने की जुगत में जुटी कांग्रेस को यूपी में झटका लगा है. दरअसल यात्रा में शामिल होने के बजाए अखिलेश-मायावती ने बधाई पत्र जारी कर दूरी बना ली. वहीं रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी ने भी यात्रा से मुंह फेर लिया. ऐसे में सियासी गलियारों में इसकी वजह यात्रा के रूट को लेकर बताई जा रही है.

यात्रा में शामिल होने पर विपक्षी दलों में खुद के नुकसान की आशंका
भारत जोड़ो यात्रा का जो रूट तय किया गया है. इसके लिए सपा, बसपा और रालोद को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. दरअसल शामली, कैराना और बागपत के जिन इलाकों से ये यात्रा गुजरेगी, वह मुस्लिम बहुल इलाके हैं. साथ ही दलित और जाट वोट भी है. वहीं पश्चिमी यूपी में इस वोटबैंक पर सपा, रालोद और बहुजन समाज पार्टी तीनों ही दावा करते हैं. ऐसे राहुल गांधी की अगुवाई में इस यात्रा में शामिल होने का मतलब है कि अपने ही वोटों पर कांग्रेस को जगह देना है. लिहाजा तीनों विपक्षी दलों ने दूरी बना ली है.

कभी कांग्रेस का था वोट बैंक
90 के दशक से पहले यूपी में कभी मुसलमान और दलित कांग्रेस का कोर वोट बैंक हुआ करते थे. इसके बाद मुस्लिम वोटबैंक समाजवादी पार्टी के साथ चला गया. वहीं दलित वोटों पर ज्यादातर बसपा का कब्जा हो गया. कांग्रेस दोनों ही वर्ग के वोटरों को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम कर रही है.

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यूपी में कैसे खिसकती गई कांग्रेस की जमीन
1951 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की थी. इस चुनाव में पार्टी को 388 सीटें मिलीं. इसके बाद दूसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 286 सीटों पर कब्जा किया. बाद में 1980 में पार्टी को 309 और 1985 में 269 सीटें मिलीं. साल 1991 में हुए विधानसभा चुनाव से कांग्रेस 50 का आंकड़ा नहीं पार कर पाई है. इसके बाद कांग्रेस की जमीन खिसकने लगी.

ऐसे में 2022 विधानसभा के नतीजे पार्टी के लिए सबसे खराब साबित हुए. साल 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने पूरी तरह से प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में लड़ा, लेकिन चुनावी नतीजों में पार्टी सिर्फ दो सीट ही जीत सकी. वहीं 2019 लोकसभा में भी एक सीट हाथ लगी.

Tags: Bharat Jodo Yatra, Rahul gandhi

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