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नोएडा में खेल की जमीन पर ही हुआ 'खेल', कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

कलेक्ट्रेट में ही नोएडा, जेवर और दादरी सीट के लिए नामांकन पत्र जमा होंगे.

कलेक्ट्रेट में ही नोएडा, जेवर और दादरी सीट के लिए नामांकन पत्र जमा होंगे.

कैग (CAG) की रिपोर्ट बताती है कि नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) ने बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने के लिए कौडियों के भाव से ...अधिक पढ़ें

    नोएडा. एक बार फिर बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) का खेल सामने आया है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस बार बिल्डर और अथॉरिटी ने यह खेल “खेल की जमीन” पर खेला है. कैग (CAG) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. यह कोई पहला मौका नहीं है जब अथॉरिटी में भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भी नोएडा अथॉरिटी को लेकर तल्ख टिप्पणी कर चुका है. भ्रष्टाचार (Corruption) के नए मामले में बिल्डर्स को जमीन में हेरफेर करने का मौका तो दिया ही गया, साथ में उनसे अथॉरिटी की बकाया रकम भी नहीं वसूली गई.

    यह था खेल की जमीन पर बिल्डर-अथॉरिटी का खेल

    तत्कालीन यूपी सरकार का प्लान था कि नोएडा में भी ऐसी सुविधाएं विकसित की जाएं जिससे कॉमनवेल्थ जैसे गेम्स का आयोजन नोएडा में भी किया जा सके. इसके लिए नोएडा अथॉरिटी की ओर से स्पोर्टस सिटी के नाम से एक स्कीम निकाली गई. स्कीम के तहत 5 बिल्डर्स को नोएडा के सेक्टर- 78, 79, 101, 150 और 152 में जमीन आवंटित की गई. जमीन आवंटन के साथ ही यह शर्त थी कि इस जमीन पर 12 तरह की खेल सुविधाएं विकसित की जाएंगी.

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    इस प्रोजेक्ट में बिल्डर को कोई नुकसान न हो इसके लिए एक छूट भी दी गई थी. वो छूट यह थी कि बिल्डर को जितनी जमीन आवंटित की जाएगी उसके 28 फीसद एरिया में हाउसिंग प्लान और 2 फीसद एरिया में कमर्शियल एक्टीविटी की छूट दी गई थी. लेकिन बिल्डर ने अथॉरिटी की मदद से बड़े-बड़े प्लाट लेकर उन्हें छोटे-छोटे प्लाट में बदलकर दूसरे बिल्डर्स को बेच दिया. इस तरह से स्पोर्टस सिटी की जमीन पर हाउसिंग प्लान और कमर्शियल एक्टीविटी तो शुरू हो गईं, लेकिन स्पोर्टस सिटी कभी बनकर तैयार नहीं हो पाई.

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    3911 करोड़ की वसूली नोटिस तक सिमटी रही

    जिन 5 बिल्डर्स को नोएडा अथॉरिटी ने स्पोर्टस सिटी के नाम पर जमीन का आवंटन किया था, उन्होंने उसी जमीन को बेचकर बिना कुछ करे करोड़ों रुपये कमा लिए. लेकिन इतना करने के बाद भी जो पैसा अथॉरिटी के खाते में जमा होना था वो नहीं किया गया. कैग की रिपोर्ट बताती है कि उन सभी 5 बिल्डर्स पर अथॉरिटी का 3911 करोड़ रुपये बकाया है. लेकिन नोएडा अथॉरिटी के उस वक्त के अफसरों ने रुपये की वसूली की कार्रवाई को सिर्फ नोटिस भेजने तक ही सीमित रखा. नोटिस भेजने के अलावा कोई दूसरी कार्रवाई नहीं की गई.

    Tags: Builder Society Noida Fines, CAG, Noida Authority, Supreme court of india

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