नोएडा. यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को रात में एक खास वक्त पर तीन घंटे के लिए बंद करने की मांग हो रही है. यह मांग यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तक भी पहुंचा दी गई है. मांग करने के पीछे वजह भी बताई जा रही है. डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन ने यह मांग की है. एडीएफ के सचिव और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट केसी जैन का कहना है कि यह मांग कोई नई नहीं है. बढ़ते हादसों पर रोकथाम के लिए यह कदम उठाया जाना जरूरी है. गौरतलब है कि आईआईटी, दिल्ली भी वाहनों की स्पीड को नियंत्रित करने की बात कह चुकी है. स्पीड कहां पर चेक की जाए यह भी इस रिपोर्ट में बताया गया है.
केसी जैन का कहना है कि एक्सप्रेसवे पर होने वाले एक्सीडेंट के संबंध में आईआईटी, दिल्ली ने एक रिपोर्ट जारी की थी. अप्रैल 2019 में जारी हुई यमुना एक्सप्रेसवे की रोड सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से लेकर 2018 तक के एक्सप्रेसवे पर हादसों के समय का विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि शाम 6 बजे से लेकर रात 12 बजे तक 21 फीसद और रात 12 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक 43 फीसद हादसे होते हैं.
सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक 36 फीसद हादसे होते हैं. इस प्रकार शाम 6 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक 64 फीसद हादसे एक्सप्रेसवे पर हो जाते हैं और इसमें भी मुख्य रूप से यह हादसे रात 12 बजे से 6 बजे तक होते हैं. केसी जैन का कहना है कि आईआईटी, दिल्ली की इसी रिपोर्ट के आधार पर यह मांग की गई है कि रात में 1 बजे से लेकर 4 बजे तक एक्सप्रेसवे पर किसी भी वाहन का आवागमन पूरे वर्ष नहीं होना चाहिए.
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ऐसे समय पर वाहन चालक भी थका होता है और झपकी लग जाने से हादसा हो जाता है. 100 किलोमीटर की गति से यदि वाहन चल रहा हो तो एक सैकेण्ड के समय में वाहन 28 मीटर आगे बढ़ जाता है. पल भर का झौंका तेज चल रहे वाहन को कहीं का कहीं पहुंचा देता है और नतीजा हादसा होता है.
आईआईटी दिल्ली की ऑडिट रिपोर्ट में गति सीमा नियन्त्रण करने के लिए यह भी संस्तुति की गई है कि एक टोल प्लाजा से अगले टोल प्लाजा के बीच की दूरी में जितना समय वाहन ने लगाया उसके आधार पर उसकी गति की गणना करनी चाहिए. और यदि निर्धारित गति सीमा से अधिक गति पाई जाए तो चालान किया जाना चाहिए. क्योंकि वाहन चालक चालान से बचने के लिए कैमरा आने से पहले अपने वाहन की गति कम कर देते हैं और उस चालाकी के कारण उनका चालान होने से बच जाता है. कैमरों की संख्या भी बढ़नी चाहिए और अलग-अलग लोकेशन पर कैमरों से गति सीमा को जांचा जाना चाहिए.
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