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कुमार विश्वास के 'कोई दीवाना कहता है' का संस्कृत वर्जन हुआ Viral, सुनें इस दिव्यांग छात्र को...

UP Viral News: बीएचयू के दिव्यांग छात्र इंद्रजीत (दाएं) ने कुमार विश्वास के गीत 'कोई दीवाना कहता है' का संस्कृत में अनुवाद किया और गाया.

UP Viral News: बीएचयू के दिव्यांग छात्र इंद्रजीत (दाएं) ने कुमार विश्वास के गीत 'कोई दीवाना कहता है' का संस्कृत में अनुवाद किया और गाया.

Trying to Popularize Sanskrit: इंद्रजीत और राजेंद्र भावे जैसे चंद लोगों ने संस्कृत को लोकप्रिय करने के लिए जो व्यक्तिगत ...अधिक पढ़ें

नोएडा. हिंदी के मशहूर कवि कुमार विश्वास के बहुचर्चित गीत का संस्कृत अनुवाद ‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है…’ बनारस के एक छात्र ने किया है. इस अनुवाद को प्राथमिक अनुवाद बताते हुए दिव्यांग छात्र इंद्रजीत कहते हैं कि जरूरत पड़ने पर इसमें और संशोधन करेंगे. इंद्रजीत इससे पहले भोजपुरी में ‘अमृत के धार केहू पियाई माई बिना’ और हरियाणवी ‘तेरी आख्या का यो काजल’ ने जमकर प्रशंसा बटोरी थी. बता दें कि इन दिनों हिंदी और संस्कृत को लेकर कई प्रयोग लगातार हो रहे हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कुछ लोग शुद्ध हिंदी के नाम पर यह आग्रह लगातार कर रहे हैं कि हिंदी में इस्तेमाल हो रहे तमाम उर्दू के शब्द खारिज कर दिए जाएं. ठीक इसके उलट मृतप्राय हो चुकी संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के प्रयास लगातार होते दिख रहे हैं. इंद्रजीत ने कुमार विश्वास के गीत को जिस रूप में संस्कृत में अनूदित किया है, पहले उस हिस्से को देखें –

‘कचित् उन्मत्तम् कथयति, कचित अनभिज्ञयम् बोधयति
परम् धरणेण व्याकुलकताम,नीरदर श्यामा अनुभवति
अहम त्वदूरे किद्विश्वोस्मि, त्वम् त्वदूरे किद्वेश्वसि
इदम त्वहृदयम अनुभवति. त्वमम् हृदयम् अनुभवति…’

अब पढ़ें कुमार विश्वास की रचना का शुरुआती हिस्सा :

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‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है…’

कुमार विश्वास के इस गीत का संस्कृत अनुवाद और गायन किया है बीएचयू के दिव्यांग छात्र इंद्रजीत ने. इंद्रजीत बीएचयू के बिड़ला छात्रावास में रहते हैं. संस्कृत में गाया इस गीत का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है. इंद्रजीत ने इस गीत का बेहद आसान और सटीक अनुवाद तो किया ही है. गीत में संस्कृत शब्दों के उच्चारण में भी उन्होंने बेहद सावधानी बरती है. सुर, लय और चुटकी के ताल में इंद्रजीत जब इसे गाते हैं, तो सुनने वाले मुग्ध हो जाते हैं. इंद्रजीत के बारे में बताया जाता है कि इससे पहले उन्होंने भोजपुरी और हरियाणवी गीतों का भी अनुवाद किया है. बता दें कि अयोध्या के रहनेवाले इंद्रजीत बीएचयू में संस्कृत विभाग में बीए द्वितीय वर्ष के छात्र हैं.

देखें इंद्रजीत का वायरल हुआ वीडियो

इससे पहले सोशल मीडिया पर फिल्म ‘शोले’ के कुछ दृश्य वायरल हुए थे. जिसमें गब्बर अपने गुर्गों से संस्कृत में तमाम संवाद कर रहा है. वह संस्कृत में ही पूछता है – क्या सोचकर आए थे? सरदार खुश होगा? शाबाशी देगा? दरअसल, संस्कृत को लोकप्रिय बनाने की ऐसी कोशिशें संस्कृत की ‘देवभाषा‘ वाली छवि से बिल्कुल अलग हट कर थी. कहा जा सकता है कि किसी बड़े मिथक के टूटने जैसी. नतीजा रहा कि लोगों ने इन दृश्यों को देखा तो जरूर, लेकिन भाषा की समृद्धि के रूप में नहीं, बल्कि इस कोशिश को मनोरंजन के रूप में ही लिया.

इन सबसे पहले सोशल मीडिया पर ‘आ जा सनम, मधुर चांदनी में हम-तुम मिले तो’ गीत बहुत चर्चित हुआ था. इसके संस्कृत बोल थे ‘एहि रे प्रिय, मधुरचंद्रिकायाम् / नौ मिलेव निरस्तस्थले प्रमोदते मन:, दोलायते मुदाम्बरम्’. इंटरनेट पर डाले गए इस गीत के वीडियो में इसके अनुवादक का नाम राजेंद्र भावे बताया गया था और गायक का नाम आशुतोष कुमार. इस गीत को लोगों ने वाकई संस्कृत की ऊंचाई के तौर पर लिया था और खूब सराहा था.

सच है कि इंद्रजीत और राजेंद्र भावे जैसे चंद लोगों ने संस्कृत को लोकप्रिय करने के लिए जो व्यक्तिगत कोशिशें की हैं, उनकी तारीफ होनी चाहिए. लेकिन जबतक ऐसी कोशिशें सामूहिक रूप से या व्यापक रूप से न की जाएं या संस्थानों की ओर से ऐसी पहल न हो, तो भाषा को किसी ऊंचाई पर ले जाने में बहुत कामयाब नहीं होतीं. हां, यह जरूर है कि एक हाशिए पर चली गई भाषा कुछ दिनों के लिए ही सही थोड़ी चर्चा में आ जाती है.

Tags: BHU, Kumar vishwas, Sanskrit language

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