आदित्य कुमार
नोएडा: शहर को उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाता है. एनसीआर में घर खरीदने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए नोएडा सबसे पहली पसंद होती है. लेकिन यहीं के कुछ लोगों ने घर तो खरीदा लेकिन इसके बाद वह और परेशान हो गए. अब ये लोग राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे है. आखिर क्या हुआ ऐसा इन घर खरीददारों के साथ?
सपना था घर का, कर्ज भी लिया पर आशियाना भी नहीं मिला
प्रमिता बनर्जी बताती हैं कि हमने लगभग पांच साल पहले घर बुक किया था. लेकिन बिल्डर ने घर नहीं दिया. दो साल पहले मुझे घर मिल जाना था. आजकल करते-करते सालों बीत गए. अंत में हमने कहा कि हमारा बुकिंग वाला पैसा वापस कर दो. तो वहीं बिल्डर ने कहा कि हमारे यहां की यह पॉलिसी नहीं है. आपको हम दूसरे जगह फ्लैट देंगे. लेकिन आपको पैसा और देना होगा. मैंने गहने बेचकर 80 प्रतिशत पैसा लगभग 40 लाख बिल्डर को दिया लेकिन घर नहीं मिला.
अब ऐसी स्थिति है कि लोन सिर पर है, छोटी बेटी है और पति का देहांत हो चुका है. ऐसे में मैं चाहती हूं कि, हमें इच्छा मृत्यु से दिया जाए. धीरे-धीरे मरने से अच्छा है कि एक बार में ही मर जाए. हमारे साथ जैसे 4000 लोग है जो हमारे संपर्क में हैं और न जाने कितने होंगे.
घर बेचकर खरीदा था घर
कामिनी पाठक की उम्र 60 साल के लगभग होगी, वो बताती हैं कि हमारे पास दो रूम का घर था. लेकिन हमें बड़े घर की जरूरत थी. बिल्डर ने हमें घर के बदले घर देने का प्रलोभन दिया और हमने घर बेच दिया. अब अपना घर भी हाथ से गया और नया घर भी नहीं मिला. ज्योति बताती हैं कि मेरे पति बीमार हो गए, कमाई जितनी है उससे ज्यादा ईएमआई और घर का रेंट जा रहा है. इससे अच्छा होता कि मर जाते दो साल से फजीहत झेलनी पड़ रही है.
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