नोएडा:-उत्तर प्रदेश का शो विंडो और दिल्ली-एनसीआर के सबसे विकसित शहर नोएडा में अगर आप देर रात मेट्रो से उतरते हैं तो आपको शहर के अंदर सेक्टरों में जाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी.क्योंकि यहां सार्वजनिक परिवहन के नाम पर सिर्फ शेयरिंग ऑटो या अन्य कोई एप आधारित परिवहन व्यवस्था ही एक मात्र विकल्प है.ऐसे में एक तो यात्रा महंगी पड़ती है दूसरा महिलाओं को डर के साए मेंसफर करना पड़ता है.
दिन में कभी भी शहर में निकलने पर अच्छा खासा खर्च होता है पैसा
अक्षय एक कंपनी में ह्यूमन रिसोर्स के रूप में काम कर रहे हैं, उन्हें आए दिन नोएडा से बाहर जाना पड़ता है.वो बताते हैं कि नोएडा में या तो खुद की गाड़ी हो या एप के माध्यम से चलना पड़ता है जो कि काफी खर्चीला है.अंदर के सेक्टर में लोगों को सबसे ज्यादा समस्या होती है.अगर उन्हें मेट्रो स्टेशन जाना होता है तो 200-300 रुपए तक खर्च हो जाते हैं कैब से आने में.तो वहीं 52 मेट्रो स्टेशन पर ऑटो वाले सवारियों को तंग करते हैं.
महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं
श्वेता भारती बताती हैं कि नोएडा में देर रात अगर मैं किसी मेट्रो स्टेशन पर उतर जाऊं तो निजी वाहन के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं होता.अगर कोई निजी वाहन से मेट्रो तक जाएगा तो इससे अच्छा वो अपने गंतव्य तक ही अपने वाहन से क्यों न जाए? ऐसे में प्रदूषण तो बढ़ता ही है साथ ही लोगों की जेब भी ढीली होती है. खास तौर से यह समस्या ग्रेटर नोएडा वेस्ट की तरफ ज्यादा है क्योंकि यहां दूरी भी अधिक है.
व्यापार करना भी होता है मुश्किल
सेक्टर-18 मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन बताते हैं कि शहर में पहले nmrc मेट्रो फीडर चला रही थी.लेकिन किसी कारणवश वो बंद हो गया और दुबारा चालू नहीं किया गया.हम बस यह चाहते हैं कि लास्ट कनेक्टिविटी की बात नोएडा में साकार हो जाए.नोएडा में व्यापार करना भी काफी परेशानी भरा होता है.सार्वजनिक परिवहन नहीं होने की वजह से ट्रेवल करना बहुत महंगा पड़ जाता है.
(Report by Aditya kumar)
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