नोएडा. एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दखल के बाद सियान-एपेक्स टावर को गिराने का रास्ता साफ हो गया है. नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) ने भी टावर गिराने की कार्य योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. कार्य योजना आज कोर्ट में जमा कर दी जाएगी. कार्य योजना के मुताबिक सुपरटेक ट्वीन टावर (Supertech Tin Tower) गिराने की तैयारियों में कम से कम 3 महीने का वक्त लगेगा. जबकि तैयारी पूरी होने के बाद सिर्फ 10 सेकेंड में दोनों टावर पानी के झरने की तरह से जमीदोज हो जाएंगे. लेकिन एक और खास बात यह है कि 100 मीटर ऊंचे टावर गिरने के बाद उसका मलबा उठाने में भी करीब 3 महीने ही लगेंगे. इस दौरान नीचे से जा रहे गैस पाइप लाइन को भी बंद किया जाएगा.
3 हजार ट्रक मलबे में निकलेगा 4 हजार टन स्टील
नोएडा के सेक्टर-93 में सुपरटेक कंपनी की एमराल्ड योजना के तहत सियान और एपेक्स टावर बने हुए हैं. बीते साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों टावर को अवैध बताते हुए गिराने के आदेश जारी किए थे. इसी के बाद से नोएडा अथॉरिटी सुपरटेक बिल्डर के साथ मिलकर 100 मीटर ऊंचे दोनों टावर को गिराने की कार्य योजना तैयार कराने में लगी हुई है. अथॉरिटी के अफसरों की मानें तो दोनों टावर में से करीब 3 हजार ट्रक भरकर मलबा निकलेगा. वहीं 4 हजार टन स्टील भी निकलेगी. 3 हजार ट्रक को मलबा उठाने में ही लगभग 3 महीने लग जाएंगे.
सुपरटेक ही देगी अवैध ट्वीन टावर गिराने का खर्च
नोएडा के सेक्टर-93ए में सुपरटेक ने एमराल्ड प्रोजेक्ट के टावर बनाए गए थे. इसमे से दो टावर अवैध तरीके से नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए थे. जिसके बाद यह मामला कई चरणों से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. 30 अगस्त को अपने एक फैसले में कोर्ट ने 30 नवंबर तक यानि तीन महीने में ट्वीन टावर के गिराने का आदेश जारी किया था. साथ ही यह भी आदेश दिया था कि टावर को गिराने का खर्च सुपरटेक बिल्डर ही देगा.
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यह था पूरा मामला
सुपरटेक बिल्डर की एमराल्ड योजना के ट्वीन टावर विवादों में आ गए थे. कई साल से लगातार पीड़ित फ्लैट खरीदार पहले स्थानीय कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे. इसके बाद ही इसी साल 30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर सख्त टिप्पणी करते हुए तीन महीने में ट्वीन टावर को तोड़ने का आदेश जारी किया था. इसके बाद लगातार अथॉरिटी केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान और आईआईटी के साथ मिलकर ट्वीन टावर को कैसे गिराया जाए इस योजना पर काम किया गया. लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी टावर नहीं टूटे थे.
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