नोएडा के एमराल्ड सुपरटेक के 40-मंजिला ट्विन टावर्स को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने का और समय दिया है.
नोएडा. सुपरटेक एमरॉल्ड प्रोजेक्ट के ट्विन टावर को गिराने पर एक बार फिर आखिरी मुहर लग गई है. टावर गिराने के लिए नया प्लान तैयार हो गया. नए प्लान के मुताबिक अब तय वक्त से 7 दिन पहले टावर गिरा दिए जाएंगे. हाल ही में नोएडा अथॉरिटी, टावर गिराने वाली कंपनी एडिफिस, सुपरटेक और तमाम विभागों की बैठक हुई थी. बैठक में ही सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने के लिए 28 अगस्त की जगह अब 21 अगस्त तय की गई है. गौरतलब रहे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई तक दोनों टावर गिराने का आदेश अथॉरिटी को दिया था,लेकिन बाद में तैयारियों के बीच कंपनी ने तीन महीने का और वक्त मांगा था.
तकनीक के साथ विस्फोटक भरे जाते हैं. कॉलम और बीम को वी शेप में काटा जाता है. फिर उसके अंदर विस्फोटक की छड़ रख दी जाती है. विस्फोटक ग्राउंड फ्लोर से लेकर 1 और 2 फ्लोर तक तो लगातार विस्फोटक रखा जाता है. लेकिन उसके बाद 4-4 फ्लोर का गैप देकर जैसे दूसरे के बाद 6 पर और 6 के बाद 10, 14, 18 और 22वें फ्लोर पर. जानकारों की मानें तो किसी भी हाईराइज बिल्डिंग को गिराने के लिए उसके कॉलम और बीम में फ्लोर पर विस्फोटक भरा जाएगा. सूत्रों की मानें तो इसके लिए पूरी बिल्डिंग में करीब 7 हजार छेद किए जाएंगे.
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सुपरटेक ट्विन टावर से जुड़ी इस बड़ी बैठक में स्थानीय आरडब्ल्यूओ को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा. आरडब्ल्यूओ का कहना है कि सुपरटेक ट्विन टावर में जो काम चल रहा है, उससे धूल उड़ती रहती है. वहीं आने-जाने के कुछ रास्ते भी बंद कर दिए गए हैं. इसके चलते सोसाइटियों में रहने वालों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आरडब्ल्यूओ इस तरह की शिकायमें नोएडा अथॉरिटी में भी कर चुके हैं. चर्चा है कि अथॉरिटी यह शिकायतें आज की बैठक में भी उठा सकती है.
साथ ही संबंधित बिल्डर और एडिफिस कंपनी से इस पर जवाब-तलब भी कर सकती है. हालांकि कंपनी परेशानियों को दूर करने के लिए ट्विन टावर और अन्य टावर्स के बीच कंटेनर की दीवार बना रही है, जिससे मलबा दूसरी बिल्डिंग पर न गिरे. जीओ फाइबर क्लाथ का जाल लगाया जा रहा है. इससे तेज आवाज और धूल दूसरे टावर्स तक नहीं जाएगी. धूल के गुबार से बचाने के लिए फायर टेंडर और दूसरे तरीकों से पानी छिड़कने में मदद ली जाएगी.
सुपरटेक ट्विन टावर में विस्फोटक लगाने के दौरान सिर्फ तकनीशियनों को ही जाने की अनुमति होगी. इसके अलावा किसी भी बाहरी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं होगी. दोनों टावर में करीब 20 से 25 दिन तक विस्फोटक लगाने का काम चलेगा. इस दौरान दोनों टावर की सुरक्षा स्थानीय पुलिस के हवाले रहेगी. टावर गिराने में कुल 4 हजार किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा. टावर में हर रोज सिर्फ उतना ही विस्फोटक लाया जाएगा जितना एक दिन में लगाया जा सके. बाकी के स्टाक को टावर से अच्छी खासी दूरी पर रखा जाएगा.
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