Supertech Twin Tower news: सुपरटेक की ट्विन टावर के पीड़ित परिवार और उसके बराबर में बने टावर में रहने वाले परिवारों ने नोएडा अथॉरिटी पर गुमराह करने के आरोप लगाए हैं. (File photo)
नोएडा. नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए सुपरटेक बिल्डर (Supertech Builder) की एमराल्ड कोर्ट योजना के ट्वीन टावर को तोड़े जाने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे. आज 30 नवंबर को कोर्ट के आदेश की डेडलाइन खत्म हो रही है. लेकिन अभी तक ट्वीन टावर नहीं टूटे हैं. हालांकि इसे लेकर बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. अथॉरिटी का कहना है कि ट्वीन टावर कैसे तोड़े जाएंगे इसे लेकर बिल्डर ने कोई प्रस्ताव बनाकर पेश नहीं किया है. वहीं बिल्डर का आरोप है कि उसने इस संबंध में तीन कंपनियों और एक कंसलटेंट का नाम अथॉरिटी को सौंप दिया है. कई मीटिंग भी हो चुकी हैं. वहीं दूसरी ओर एमराल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाने की तैयारी शुरू कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नोएडा अथॉरिटी, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), सुपरटेक के अलावा तीन एजेंसियां और सलाहकार टीम दिन-रात ट्वीन टावर को गिराने की योजना पर काम कर रहीं थी. ये प्लान बनाने की कोशिश की जा रही थी कि ट्विन टावर को किस तकनीक की मदद से गिराया जाए. ट्वीन टावर के नीचे से गैस की पाइपलाइन जा रही है. काम कर रहीं एजेंसियों का कहना है कि जीपीआर टेस्टिंग से यह पता लगाना होगा कि पाइपलाइन कितनी गहराई में है.
अगर ज्यादा गहराई में पाइपलाइन है तो कोई खतरा नहीं होगा. अगर यह कम गहराई होगी तो फिर इसका विकल्प सोचना होगा. इस पाइपलाइन की सुरक्षा भी बेहद अहम है. जीपीआर टेस्ट से यह भी पता लगाना होगा कि बिजली, पानी सहित अन्य लाइनों का जाल वहां से कितनी दूरी पर है. साथ ही कितनी गहराई में इसे डाला गया है. अगर ट्विन टावर का मलबा गिरता है तो इसका असर इन पर पड़ सकता है या नहीं.
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नोएडा अथॉरिटी का आरोप है कि अब तक टावर गिराने की किसी भी एक तकनीक पर अमल करने का प्रस्ताव तैयार नहीं हुआ है. टीम का कहना है कि अगर ब्लास्ट तकनीक से ट्वीन टावर गिराया जाता है तो आसपास की इमारतों को खतरा होगा. इसमें सबसे नजदीकी छह इमारतें 33 मीटर के दायरे में हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा खतरा होने की आशंका जताई जा रही है.
यह होता है एनडीटी टेस्ट- एनडीटी मतलब नन-डिस्ट्रक्टिव टेस्टिंग. इस टेस्ट में किसी भी बिल्डिंग के साथ किसी वस्तु की मजबूती जांची जाती है. इसके अलावा यह किस मैटेरियल से बना हुआ है और कहां-कहां से जुड़ा हुआ है, इसका पता लगाया जाता है. इसके अलावा इसे तोड़ने के लिए कितनी ताकत का इस्तेमाल किया जाएगा इसका पता भी इसी टेस्ट में लगता है. इसकी खासियत यह है कि इसमें वस्तु को बिना नष्ट किए आवश्यक जानकारी हासिल की जाती है.
यह होता है जीपीआर टेस्ट- जीपीआर मतलब ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार. इस तरह के टेस्ट में एक तरीके से जमीन के अंदर का एक्सरे किया जाता है. एक तय गहराई तक जमीन के अंदर कौनसी वस्तु है और वो कहां-कहां है. उस खास जगह पर जमीन के अंदर से होकर क्या गुजर रहा है. जीपीआर टेस्ट से जमीन ही नहीं कंक्रीट के अंदर की वस्तुओं का भी पता लगाया जा सकता है. इसकी मदद से यह भी पता चल जाता है कि जमीन के नीचे से कितनी पाइप लाइन और तार गुजर रहे हैं.
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Tags: Noida Authority, Supertech Twin Tower case, Supreme court of india
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