नोएडा. नए परिसीमन के बाद दादरी से कटकर अस्तित्व में आई नोएडा विधानसभा सीट पर ब्राह्मण और वैश्य जिस तरफ जाएंगे, जीत का सेहरा उसी के सिर बंधेगा. जातीय समीकरणों के लिहाज से यह सीट भाजपा की मजबूत गढ़ बन गई है. यहां पहली बार 2012 में चुनाव हुए. अभी तक हुए सभी चुनावों में भाजपा प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं. खास बात यह है कि हर बार जीत का अंतर भी बढ़ता चला गया. देखना यह है कि विधानसभा चुनाव 2022 में यह सीट बदलाव करती है या अपनी परंपरा को कायम रखती है.
ब्राह्मणों और वैश्य वर्चस्व वाली इस विधानसभा सीट पर भाजपा ने महेश शर्मा और बसपा ने ओमदत्त शर्मा को प्रत्याशी बनाया. मुकाबला भी इन्ही दोनों के बीच हुआ. महेश शर्मा ने करीब 37 प्रतिशत वोट लेकर 27 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की. महेश शर्मा के सांसद बनने के बाद 2014 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने विमला बॉथम और सपा ने समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मण काजल शर्मा को प्रत्याशी बनाया. बावजूद भाजपा प्रत्याशी ने तकरीबन 60 प्रतिशत वोट लेकर एकतरफा जीत दर्ज की.
सपा की काजल को सिर्फ 25 प्रतिशत वोट मिल सके. 2017 में यहां से भाजपा ने राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को उतारा. पंकज ने विमला बॉथम से भी अधिक 64 प्रतिशत के करीब वोट हासिल कर अपने निकटतम प्रत्याशी सपा के सुनील चौधरी को एक लाख से अधिक वोटों से हराया. 4 लाख 28 हजार वोटरों वाली इस विधानसभा सीट पर ब्राह्मण वोटरों की संख्या 1. 30 लाख है. इसके बाद 1.10 लाख वैश्य वोटर हैं. मुस्लिम करीब 70 हजार और गुर्जर 35 हजार हैं.
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