स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल को मिला जेवर हवाईअड्डे का ठेका
News18 Uttar Pradesh Updated: November 29, 2019, 10:45 PM IST

जेवर हवाईअड्डे का निर्माण 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है. (फाइल फोटो)
जेवर एयरपोर्ट (Jewar Airport) के पहले चरण में हवाईअड्डे (Airport) का विकास 1,334 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाएगा. इस पर 4,588 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है.
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- Last Updated: November 29, 2019, 10:45 PM IST
नोएडा (उत्तर प्रदेश). जेवर हवाईअड्डे (Jewar Airport) के विकास का अनुबंध देने के लिए स्विट्जरलैंड की कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल (Zurich Airport International) को शुक्रवार को चुना गया. इसके लिए जारी अंतराष्ट्रीय निविदा में इस कंपनी ने दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) और अडाणी एंटरप्राइजेज और एंकरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड जैसी कंपनी को पीछे छोड़ दिया. स्विट्जरलैंड की कंपनी ने राजस्व में हिस्सेदारी के मामले में प्रति यात्री सबसे ऊंची बोली लगाई है.
29,560 करोड़ रुपए आंकी गई है इसकी अनुमानित लागत
निर्माण पूरा होने के बाद यह देश का सबसे बड़ा हवाईअड्डा होगा. अधिकारियों ने बताया कि स्विट्जरलैंड की कंपनी ने प्रति यात्री सबसे ऊंची बोली लगाई है. परियोजना के नोडल अधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने कहा कि जेवर हवाईअड्डा या नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट जब पूरी तरह विकसित हो जाएगा तो यह 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा. इसकी अनुमानित लागत 29,560 करोड़ रुपए आंकी गई है.
पहले से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में मौजूद हैं दो एयरपोर्ट शैलेंद्र भाटिया ने कहा, ‘ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ने इसके लिए सबसे अधिक बोली लगाई थी.’ जेवर हवाईअड्डा के लिए 30 मई को अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की गई थी. इस हवाईअड्डा के प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक एजेंसी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नायल) गठित की है. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बनने वाला यह तीसरा हवाईअड्डा पूरी तरह से नए सिरे से विकसित (ग्रीनफील्ड) किया जाएगा.
जेवर हवाईअड्डे पर होंगी छह से आठ हवाई पट्टियां
इससे पहले दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा और गाजियाबाद में हिंडन हवाईअड्डा मौजूद है. परियोजना के नोडल अधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने बताया कि पूरी तरह बनकर तैयार होने के बाद जेवर हवाईअड्डे पर छह से आठ हवाई पट्टियां होंगी जो देश में अब तक किसी हवाई अड्डे की तुलना में सबसे अधिक होंगी.ये भी पढे़ं -
29,560 करोड़ रुपए आंकी गई है इसकी अनुमानित लागत
निर्माण पूरा होने के बाद यह देश का सबसे बड़ा हवाईअड्डा होगा. अधिकारियों ने बताया कि स्विट्जरलैंड की कंपनी ने प्रति यात्री सबसे ऊंची बोली लगाई है. परियोजना के नोडल अधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने कहा कि जेवर हवाईअड्डा या नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट जब पूरी तरह विकसित हो जाएगा तो यह 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा. इसकी अनुमानित लागत 29,560 करोड़ रुपए आंकी गई है.
पहले से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में मौजूद हैं दो एयरपोर्ट शैलेंद्र भाटिया ने कहा, ‘ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ने इसके लिए सबसे अधिक बोली लगाई थी.’ जेवर हवाईअड्डा के लिए 30 मई को अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की गई थी. इस हवाईअड्डा के प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक एजेंसी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नायल) गठित की है. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बनने वाला यह तीसरा हवाईअड्डा पूरी तरह से नए सिरे से विकसित (ग्रीनफील्ड) किया जाएगा.
जेवर हवाईअड्डे पर होंगी छह से आठ हवाई पट्टियां
इससे पहले दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा और गाजियाबाद में हिंडन हवाईअड्डा मौजूद है. परियोजना के नोडल अधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने बताया कि पूरी तरह बनकर तैयार होने के बाद जेवर हवाईअड्डे पर छह से आठ हवाई पट्टियां होंगी जो देश में अब तक किसी हवाई अड्डे की तुलना में सबसे अधिक होंगी.
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First published: November 29, 2019, 10:41 PM IST
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