सृजित अवस्थी
पीलीभीत. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार सत्ता में आने के बाद सबसे अधिक गड्ढा मुक्त सड़कों की ओर ध्यान दिया था, लेकिन सिस्टम पर चढ़ी भ्रष्टाचार की खुमारी उनके इस अभियान में पलीता लगाती नजर आ रही है. पीलीभीत में ऐसी ही तस्वीर इन दिनों देखने को मिल रही है. शहर की तमाम सड़कें इस कदर जर्जर हो चुकी हैं कि उन पर आए दिन हादसे हो रहे हैं. लेकिन जिम्मेदारों के कानों पर जूं भी नहीं रेंग रही है.
दरअसल प्रदेश सरकार के द्वारा बीते दिनों लगभग 16 विभागों को गड्ढा मुक्त सड़क अभियान के लिए 15 नवंबर तक की डेडलाइन दी गई थी, लेकिन 15 नवंबर बीत जाने के बाद भी सड़कों को सुधारने का काम पूरा नहीं किया जा सका है. जिसके बाद यह तारीख बढ़ाकर 30 नवंबर तय कर दी गई, बावजूद इसके पीलीभीत में नई डेडलाइन का भी विभागों पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है. शहर की कई प्रमुख सड़कें जर्जर हालत में हैं जिन पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. टूटी-फूटी सड़कों की वजह से सबसे ज्यादा रिक्शा चालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
शहर की दो प्रमुख सड़कें सबसे ज्यादा जर्जर
वैसे तो पीलीभीत की सड़कें अपनी गुणवत्ता को लेकर चर्चा का विषय बनी हुई हैं. लेकिन बात अगर शहर की दो प्रमुख सड़कों की करें तो गैस चौराहे से नकटादाना चौराहे की ओर जाने वाली सड़क काफी बदहाल हो चुकी है.
वहीं, डिग्री कॉलेज चौराहे से पूरनपुर हाइवे को जोड़ने वाली रामलीला सड़क में भी गहरे गड्ढे हो चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके इन दोनों सड़कों को सुधारने वाली जिम्मेदार संस्थाएं नींद में सो रही हैं.
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