रिपोर्ट : सृजित अवस्थी
पीलीभीत. वैसे तो मूल रूप से ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है. आमतौर पर रेगिस्तानी इलाकों में ही ऊंट देखने को मिलता है. लेकिन इन दिनों तराई जिले पीलीभीत में भी दो ऊंट सड़कों पर घूमते नजर आते है. ये ऊंट पूरे शहर के लिए चर्चा का विषय बने हुए है. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिला अपने पीलीभीत टाइगर रिजर्व और बाघ की चहलकदमी के लिए चर्चाओं में रहता है. लेकिन बीते कुछ दिनों से शहर में जगह-जगह दो ऊंट सड़कों पर चलते देखे जा रहे थे. जो लोगों के बीच आकर्षण और चर्चा का केंद्र बने हुए थे.
लोगों के बीच यह चर्चा आम थी कि आखिर ये ऊंट किसके है और यहां कैसे आए. न्यूज 18 लोकल की टीम ने इन ऊंट के मालिकों से संपर्क किया तो सामने आया कि ये ऊंट बरेली से आए चार भाइयों के हैं. ये चारों भाई बीते कुछ दिनों से पीलीभीत में ही अपना डेरा जमाए हुए हैं. ये लोगों को कैमल सफारी कराते है.
शौक को बनाया रोजगार
मूल रूप से बरेली के रहने वाले मुशर्रफ़ ने . न्यूज 18 लोकल से बातचीत के दौरान बताया कि उसके सबसे बड़े भाई इरशाद को बचपन से ही घोड़े, ऊंट आदि को पालने का शौक था. ऐसे में मेहनत कर उसने राजस्थान से ऊंट खरीदा और कैमल सफारी को अपना रोजगार बना लिया. अब हम चारों भाई अलग-अलग शहरों में जाकर लोगों को ऊंट की सवारी कराते हैं. शहर के यशवंतरी देवी मंदिर में मेला चलने तक ये पीलीभीत में ही रहेंगे. उसके बाद अन्य शहरों की ओर निकल जाएंगे.
आप भी ऐसे कर सकते हैं कैमल सफारी
अगर आप ने भी इन ऊंटों को शहर में कहीं देखा है और आप भी इन की सवारी करना चाहते हैं. तो आप शहर के यशवंतरी देवी मंदिर मेले में इसका लुत्फ उठा सकते हैं. वहीं आप 9528911512 पर भी संपर्क कर सकते है.
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