जानें, आखिर क्यों कुंवारे रह जा रहे हैं यूपी के इस गांव के लड़के!
विद्युत विभाग के अफसर गांवों में विद्युतीकरण का दंभ भी भर रहे हैं. लेकिन अफसरों के दावे की पोल यह गांव की रिपोर्ट खोल रही है.
News18 Uttar Pradesh
Updated: September 3, 2018, 7:45 PM IST
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Updated: September 3, 2018, 7:45 PM IST
देश को आजाद हुए 70 साल से भी अधिक का वक्त गुजर चुका है, लेकिन यूपी के प्रतापगढ़ जिले में आज भी कई ऐसे गांव और मजरे पड़े हैं, जहां आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है. हजारों की संख्या में ग्रामीण आज भी अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. जिला प्रशासन और नेताओं से कई बार शिकायत के बाद भी कोई इस दलित बस्ती की तरफ ध्यान नहीं दे रहा. मजे की बात यह है कि यह गांव प्रतापगढ़ मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर है. पूरा मामला नगर कोतवाली के ग्राम सभा कदीपुर के दलित बस्ती हाकिम का पुरवा का है.
प्रतापगढ़ में हर घर और गांव में बिजली पहुंचाने के लिए पंड़ित दीनदयाल ज्योति ग्राम योजना और सौभाग्य योजना लागू है. विद्युत विभाग के अफसर गांवों में विद्युतीकरण का दंभ भी भर रहे हैं. लेकिन अफसरों के दावे की पोल यह गांव की रिपोर्ट खोल रही है. शहर से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित कदीपुर का दलित बस्ती आज भी 70 साल पहले की जिंदगी जीने को मजबूर है. इस गांव में सैकड़ों घर और हजारों की संख्या में लोग रहते हैं. पास में मुस्लिम बस्ती भी है. शहर से सटा यह गांव प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. गांव के लोग आज भी अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर हैं.
इन गांवों में शाम होने से पहले ही महिलाएं खाना बनाना शुरू कर देती हैं. गांव के बच्चे अफसर और डॉक्टर बनाने के सपनों को लेकर शाम को लालटेन में पढ़ने को विवश है. आज भी गांव में कुछ लोगों को छोड़कर किसी के पास मोबाइल फ़ोन नहीं है, क्योंकि बिजली के बिना मोबाइल चार्ज कैसे हो? लोग अपने बेटी की शादी-विवाह भी उस गांव में करने से इनकार कर रहे हैं. ग्रामीण डीएम, विधायक और सांसद के चक्कर काट-काट कर थक हार कर घर बैठ गए, क्योंकि इनकी समस्या जिम्मेदार अफसर सुनने को तैयार नहीं हैं, जिसके चलते ग्रामीणों में आक्रोश है.
गांव की एक छात्रा का कहना है कि लालटेन में पढ़ने से हमारी आंखें कमजोर हो रही हैं. हम ज़्यादा देर तक पढ़ नहीं पाते. गांव की महिलाएं अंधेरे में खाना बनाती हैं, जिससे उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गर्मी और बारिश के माह में बुरा हाल रहता है, लेकिन शिकायत के बाद भी कोई अफसर इस गांव में आने की जहमत नहीं जुटा रहा. अफसर के पास दौड़ -भाग कर पूरा गांव थक गया है.उधर अपर जिला अधिकारी मनोज कुमार सिंह का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है. जल्द ही गांव में विद्युतीकरण कराया जाएगा. सरकार की प्राथमिकता है कि हर घर में बिजली पहुंचे, लेकिन आज तक गांव में बिजली नहीं पहुंची, ये अचरज की बात है.
(रिपोर्ट: रोहित सिंह)
प्रतापगढ़ में हर घर और गांव में बिजली पहुंचाने के लिए पंड़ित दीनदयाल ज्योति ग्राम योजना और सौभाग्य योजना लागू है. विद्युत विभाग के अफसर गांवों में विद्युतीकरण का दंभ भी भर रहे हैं. लेकिन अफसरों के दावे की पोल यह गांव की रिपोर्ट खोल रही है. शहर से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित कदीपुर का दलित बस्ती आज भी 70 साल पहले की जिंदगी जीने को मजबूर है. इस गांव में सैकड़ों घर और हजारों की संख्या में लोग रहते हैं. पास में मुस्लिम बस्ती भी है. शहर से सटा यह गांव प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. गांव के लोग आज भी अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर हैं.
इन गांवों में शाम होने से पहले ही महिलाएं खाना बनाना शुरू कर देती हैं. गांव के बच्चे अफसर और डॉक्टर बनाने के सपनों को लेकर शाम को लालटेन में पढ़ने को विवश है. आज भी गांव में कुछ लोगों को छोड़कर किसी के पास मोबाइल फ़ोन नहीं है, क्योंकि बिजली के बिना मोबाइल चार्ज कैसे हो? लोग अपने बेटी की शादी-विवाह भी उस गांव में करने से इनकार कर रहे हैं. ग्रामीण डीएम, विधायक और सांसद के चक्कर काट-काट कर थक हार कर घर बैठ गए, क्योंकि इनकी समस्या जिम्मेदार अफसर सुनने को तैयार नहीं हैं, जिसके चलते ग्रामीणों में आक्रोश है.
गांव की एक छात्रा का कहना है कि लालटेन में पढ़ने से हमारी आंखें कमजोर हो रही हैं. हम ज़्यादा देर तक पढ़ नहीं पाते. गांव की महिलाएं अंधेरे में खाना बनाती हैं, जिससे उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गर्मी और बारिश के माह में बुरा हाल रहता है, लेकिन शिकायत के बाद भी कोई अफसर इस गांव में आने की जहमत नहीं जुटा रहा. अफसर के पास दौड़ -भाग कर पूरा गांव थक गया है.उधर अपर जिला अधिकारी मनोज कुमार सिंह का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है. जल्द ही गांव में विद्युतीकरण कराया जाएगा. सरकार की प्राथमिकता है कि हर घर में बिजली पहुंचे, लेकिन आज तक गांव में बिजली नहीं पहुंची, ये अचरज की बात है.
(रिपोर्ट: रोहित सिंह)
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