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यूपी के बाहुबली विधायक राजा भैया ने नई पार्टी के लिए चुनाव आयोग में किया आवेदन

निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा  भैया  (फाइल फोटो)

निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (फाइल फोटो)

जानकारी के अनुसार कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की तरफ से अक्षय प्रताप उर्फ गोपाल ने मंगलवार को चुन ...अधिक पढ़ें

    उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपनी नई पार्टी बनाने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं. सूत्रों के अनुसार बाहुबली विधायक राजा भैया ने नई पार्टी के गठन के लिए चुनाव आयोग में आवेदन कर​ दिया है. इस सिलसिले में बुधवार को राजा भैया अपना शपथपत्र जमा कर सकते हैं. जानकारी के अनुसार राजा भैया की तरफ से अक्षय प्रताप उर्फ गोपाल ने मंगलवार को आवेदन किया है.

    बता दें पिछले कई महीनों से राजा भैया के समर्थक पार्टी बनाने को लेकर जनता के बीच सर्वे कर रहे थे. उधर राजनितिक गलियारों में राजा भैया के नई पार्टी बनाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. बता दें राजा भैया प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा से विधायक हैं. सूत्रों के अनुसार 30 नवम्बर को लखनऊ में रैली कर राजा भैया पार्टी ऐलान कर सकते हैं.

    दरअसल रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की इस कवायद को सवर्णों को लामबंद करने की मुहिम के रूप में देखा जा रहा है. बता दें कि राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुए मतभेद के बाद से ही वे नई सियासी जमीन तलाश रहे हैं. कहा जा रहा है कि सपा से रिश्ते खराब होने के बाद राजा भैया का यह बड़ा सियासी दांव है.

    वैसे राजा भैया बीजेपी और सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. लेकिन योगी सरकार में उनकी एंट्री मंत्रिमंडल में नहीं हो सकी है. राजा भैया लगातार आठवीं बार विधायक हैं. 1993 से वह कुंडा से निर्दलीय जीतते आ रहे हैं. 1997 में बीजेपी की कल्याण सिंह की सरकार में वह पहली बार मंत्री बने थे. 2002 में बसपा सरकार में विधायक पूरन सिंह बुंदेला को धमकी देने के मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा था. बाद में मुख्यमंत्री मायावती ने उन पर पोटा लगा दिया था. करीब 18 महीने वह जेल में रहे. 2003 में मुलायम सिंह ने मुख्यमंत्री बनने के बाद राजा भैया के ऊपर से पोटा हटा लिया और उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया, तब से वह लगातार सपा के साथ थे.

    अखिलेश सरकार में भी वह मंत्री बने रहे. इस बीच कुंडा में सीओ जियाउल हक की हत्या में नाम आने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया. लेकिन राज्यसभा चुनाव में मायावती के उम्मीदवार को सपा का समर्थन मिलने के बाद राजा भैया ने क्रॉस वोटिंग की, जिसके बाद से दोनों के रिश्तों में खटास आ गई. इस बीच उनकी नजदीकियां बीजेपी नेताओं से भी रही, लेकिन वे योगी मंत्रीमंडल में शामिल नहीं हो सके. हालांकि यह चर्चा लगातार बनी रही कि वे बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. लेकिन राजाभैया भाजपा में शामिल नहीं हुए.

    समर्थकों से बातचीत के बाद अब उन्होंने नई पार्टी बनाने का फैसला किया है. राजा भैया के करीबी एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह गोपालजी और पीआरओ ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि नई पार्टी के गठन पर विचार चल रहा है. जल्द ही कुछ फैसला लिया जा सकता है.

    (रिपोर्ट: रोहित सिंह)

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