वाराणसी. रंगभरी एकादशी. काशी में वो दिन, जब बाबा विश्वनाथ गौरा मां को गौने की बारात के साथ विदा कराकर मायके से ससुराल लाते हैं और पूरी काशी इस खुशी में होली खेलते हुए रंगोत्सव का आगाज करती है. जिस तरीके से घरों में परंपरा होती है कि गौने के बाद बहु जब पहली बार ससुराल आती है तो वो अपने हाथों से कोई खास भोजन बनाकर ससुराल में सबको खिलाती है. और उस दिन के बाद से रसोई में हर दिन व्यंजन पकाकर वो जीवनभर अपने ससुरालीजनों का पेट भरती है.
वाराणसी. वाराणसी (Varanasi) के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाकर हडकंप मचा दिया है. उन्होंने वहां के प्रबंधन पर अन्याय का आरोप लगाया और इसकी जानकारी प्रधानमंत्री (Prime Minister) और राष्ट्रपति (President) को भी प्रेषित कर दी है. इसके साथ ही मंदिर (Temple) से जुड़ी लोक परंपराओं का निर्वाह यथावत जारी रखने को लेकर भी उन्होंने असमर्थता जता दी. उन्होंने कहा कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह गणतंत्र दिवस पर अपने परिवार के साथ अनशन पर बैठने के लिए बाध्य हो जाएंगे.
काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के रुख को लेकर डा. कुलपति तिवारी पिछले कुछ दिनों से लगातार नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी लोक परंपराओं के निर्वहन के लिए महंत परिवार 350 साल से कृत संकल्पित है. मंदिर अधिग्रहण के बाद भी महंत परिवार लोक परंपराओं के पालन के लिए समर्पित रहा है.
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उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम निर्माण के लिए महंत परिवार ने अपने पैतृक आवास और मंदिरों को भी सहर्ष कारिडोर के लिए छोड़ दिया. पिछले साल 22 जनवरी को उनके पैतृक आवास का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से बहुत सारा सामान मलबे में दब गया था. काशी विश्वनाथ मंदिर की लोक परंपराओं के निर्वाह में धार्मिक अवसरों पर पूजी जाने वाली बाबा विश्वनाथ की कई रजत मूर्तियों के साथ प्रयुक्त होने वाला चांदी का सिंहासन, चांदी का अन्य सामान भी उसी मलबे में दब गया था. बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती सहित कई प्राचीन रजत मूर्तियां बाल-बाल बच गई थीं.
महंत ने बताया कि इस घटना के बाद मलबे से निकालकर सुरक्षा की दृष्टि से विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन ने उन मूर्तियों को मंदिर के एक कक्ष में रखवाया. ताला लगा कर तीन चाबियां तीन पक्षों सोंपी गईं. एक चाबी उनके पास, दूसरी प्रबंधन के पास और तीसरी चाबी उनके चचेरे भाई के पास थी. उन्होंने आरोप लगाया कि टेढ़ीनीम स्थित नए भवन में परिवार के साथ व्यवस्थित होने के बाद जब उन्होंने रजत मूर्तियों की मांग की तो पता चला उनमें से कई प्रतिमाएं मंदिर प्रबंधन ने उनके छोटे भाई को सौंप दी.
पैतृक आवास के आधे-आधे का हिस्सेदार होने के बावजूद प्रशासन ने भवन के एवज में उनके चचेरे भाई को एक करोड़ 80 लाख रुपये अधिक दे दिए. इस मामले को लेकर डॉ. तिवारी ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है. उन्होंने कहा कि इसमें अगर न्याय नहीं मिलता है तो वह अपनी पत्नी के साथ 26 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे.
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