रिपोर्ट – सौरभ वर्मा
रायबरेली . उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर लखनऊ और उन्नाव की सीमा पर स्थित एक ऐसा मंदिर जो अपने में कई रहस्य समेटे हुए है. इस मंदिर का पौराणिक काल से ही महत्त्व रहा है. प्राचीन शिव मंदिरों में विख्यात यह मंदिर पुरातन काल से ही लोगों की आस्था का केंद्र रहा है. लोगों का मानना है कि यहां पर सच्चे मन से मानी गई मनोकामना भगवान शिव अवश्य पूरी करते हैं. इसीलिए यहां पर वर्ष के 12 महीने भक्तों का आना जाना लगा रहता है. साथ ही सावन महीने में रायबरेली समेत आसपास के जनपदों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं.
पौराणिक काल से ही धार्मिक मान्यता अदभुत है
पौराणिक काल से ही इस मंदिर के प्रति लोगों में एक अलग ही धार्मिक महत्व है. लोगों का मानना है. द्वापर युग में यहां पर त्र्यंबक नामक वन हुआ करता था जहां पर पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान ठहरे हुए थे. तो पांडव पुत्र महाबली भीम ने इस शिवलिंग को स्थापित कियाथा , तब इसका नाम भीमाशंकर था साथ ही लोगों ने यह भी बताया कि मंदिर के नाम बदलने के पीछे भी एक रहस्य है.
मुगल शासक औरंगजेब को शिवलिंग बाहर निकालने के समय मिला था सबक
न्यूज 18 लोकल से बात करते हुए मंदिर के पुजारी रामलाल गोस्वामी ने बताया की हमारे पूर्वज बताते थे कि एक बार औरंगजेब अपनी सेना के साथ इधर से गुजर रहा था तो उसने इस मंदिर के प्रसिद्धि के बारे में सुन रखा था. तो इस शिवलिंग की खुदाई के लिए अपने सैनिकों को आदेश दिया , तो शिवलिंग खुदाई के दौरान ही पहले इससे दूध निकला तो यह संकेत मुगल सैनिकों को समझ नहीं आया फिर इससे रक्त निकला तब भी मुगल सैनिक इस बात को समझ नहीं सके , फिर इससे भंवरे निकले और उन्होंने मुगल सैनिकों पर हमला कर दिया. जिसके हमले से घायल होकर मुगल सैनिक मूर्छित होकर गिर गए. यह जानकारी जैसे ही मुगल शासक औरंगजेब को लगी तो उसने भगवान शिव से माफी मांगी और यहां पर एक मठिया स्थापित की तभी से इसका नाम भीमाशंकर से भवरेश्वर पड़ा.
लोगों की अटूट आस्था का केंद्र रहा है यह मंदिर
मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालु रामदास उर्फ बाबा बहेलिया ने न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए बताया कि हम जब 8 वर्ष के थे तब से यहां पर भगवान शिव के दर्शन के लिए आते रहे हैं , और यहां पर मानी गई हर मनोकामना हमारी पूर्ण हुई है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार कुर्री सुदौली स्टेट के महाराजा कृष्ण पाल सिंह ने कराया था. अपनी पत्नी के साथ दर्शन करने आए एलडीए कॉलोनी आशियाना लखनऊ के रहने वाले श्रद्धालु कुणाल कुमार ने बताया की मैंने इस मंदिर के बारे में सुना था कि यहां पर जो भी मन्नत मांगी जाती है वह अवश्य पूरी होती है. इसलिए हम पिछले 2 वर्षों से यहां पर आ रहे हैं.
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Tags: Hindu Temple, Lord Shiva