लखनऊ/रामपुर. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के लिए राजनीतिक दलों का प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करने का सिलसिला चल रहा है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन सहयोगी अपना दल (एस) की प्रमुख और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) ने रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट से हैदर अली खान (Haider Ali Khan) को मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) से होने की संभावना है. वहीं, हैदर अली खान ने न्यूज़ 18 से कहा कि यह ऐतिहासिक चुनाव होगा और डेढ लाख से अधिक वोटों से जीतेंगे.
हैदर अली खान ने न्यूज़ 18 से कहा, ‘मैं सबसे पहले अपनी नेता और अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने मुझे पर भरोसा जताया. इसके अलावा मैं सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के साथ पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान और अनुराग ठाकुर का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन सभी ने मुझे पर भरोसा दिखाया है.’ साथ ही कहा कि यह मुस्लिमों के लिए ऐतिहासिक चुनाव होगा, क्योंकि अभी सभी कह रहे हैं कि यह सीट हम जीतेंगे और हमारी बात विधानसभा में सुनी जाएगी.
मुसलमानों को भाजपा और एनडीए पर पूरा भरोसा
वहीं, हैदर ने मुस्लिम प्रत्याशी के सवाल पर न्यूज़ 18 से कहा कि मैं इस विश्वास को कायम रखूंगा और भारी मतों से सीट जीतकर जिन लोगों ने मुझे पर भरोसा दिखाया है, उन्हें समर्पित करूंगा. साथ ही कहा कि मुसलमानों का भाजपा पर पूरा विश्वास है. तीन तलाक वाले मामले को लेकर हमारी माताओं और बहनों ने भाजपा और एनडीए को जमकर वोट दिया था. हालांकि आजम खान जैसे लोग समाज के अंदर भाजपा को लेकर भ्रम फैला रहे हैं. असल में वही सांप्रदायिकता का माहौल बनाकर फायदा उठाना चाहते हैं.
अब्दुल्ला को लेकर कही ये बात
वहीं, हैदर ने आजम खान और अब्दुल्ला आजम के स्वार विधानसभा से चुनाव लड़ने के सवाल पर न्यूज़ 18 से कहा कि पहले अब्दुल्ला अपना पर्चा तो भर लें. उनके पास दो बर्थ सर्टिफिकेट हैं. वह किससे अपना नामांकन करेंगे. अगर वह जेल से बाहर आने के बाद आंसू बहा रहे हैं तो ये उनका ड्रामा है. वह जनहित में नहीं बल्कि चोरी और घोटाले की वजह से जेल गए थे. वह 10 मार्च के बाद फिर जेल जाएंगे. इसके साथ कहा कि लालपुर का पुल टूटा था, उससे हर मजहब और हर जाति के लोगों को तकलीफ हुई थी. यही नहीं, व्यापारियों का धंधा ठप हो गया था. इन्होंने लोगों के घर भी तोड़े हैं और यह मजार तक तोड़ चुके हैं, जिस पर हर मजहब के लोग जाते हैं. इन्होंने मजार तोड़कर जबरदस्ती रोड बना डाली. अगर किसी और ने ऐसा किया होता तो दंगे हो जाते. इससे पहले आजम भी ऐसे ही आंसू बहाया करते थे, यह कोई नई बात नहीं है.
जीत को लेकर किया दावा
हैदर ने कहा कि हम स्वार पर डेढ लाख से अधिक वोटों से जीतेंगे. जनता हमारे पक्ष में है और उसका भरपूर आशीर्वाद मिल रहा है. साथ ही आजम खान और अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता के लिए इस परिवार ने कुछ नहीं किया. बस मुस्लिम और हिंदुओं के नाम पर बांटा है. इस बार आजम परिवार का गुरूर टूट जाएगा.
क्या अपना दल में जाने की ये है वजह?
दिलचस्प बात यह है कि यूपी में भगवा खेमे के किसी दल ने 2014 के बाद पहली बार मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव खेला है. हालांकि 36 साल के हैदर अली खान को यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए कांग्रेस ने 13 जनवरी को अपना प्रत्याशी घोषित किया था. इसके बाद उन्होंने पाला बदलकर अपना दल (एस) का दामन थाम लिया. इसके बाद अपना दल ने उन्हें स्वार से टिकट देकर मैदान में उतार दिया है. हैदर अली खान कांग्रेस की दिग्गज नेता नूर बानो के पोते हैं. जबकि एसेक्स यूनिवर्सिटी से स्नातक हैदर के पिता नवाब काजिम अली और सपा सांसद आजम खान के बीच लंबे समय से अदावत है. यही नहीं, वह स्वार और तत्कालीन बिलासपुर से चार बार विधायक रह चुके हैं. 2017 में काजिम ने बसपा के टिकट पर स्वार सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन सपा उम्मीदवार और आजम के बेटे अब्दुल्ला से हार गए थे. इसके बाद दिसंबर 2019 में अब्दुल्ला का गलत हलफनामे की वजह से विधायक पद चला गया. इसके शिकायतकर्ता हैदर के पिता काजिम ही थे. वैसे रामपुर जिले में नवाब परिवार और आजम खान के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा है और यह लंबे समय से चली आ रही है.
यही नहीं, नवाब परिवार से संबंध रखने वाली रामपुर की पूर्व सांसद बेगम नूर बानो के पौत्र हैदर अली दूसरे उम्मीदवार हैं, जो कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद टिकट ठुकराकर अन्य दल के उम्मीदवार बने हैं. हैदर अली खान को कांग्रेस ने 13 जनवरी को अपनी पहली सूची में स्वार से उम्मीदवार बनाया था. इससे पहले बरेली की छावनी सीट से विधानसभा की कांग्रेस प्रत्याशी घोषित सुप्रिया ऐरन ने सपा का दामन थाम लिया था. वैसे उसी सूची में बेगम नूर बानो के पुत्र काजिम अली खान को रामपुर से कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किया गया. बता दें कि पिछली बार भाजपा ने अपना दल को 11 सीटें दी थीं और 9 पर जीत मिली थी. उस वक्त पार्टी ने कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा था.
यह है एनडीए का गणित
दरअसल 2012 में परिसीमन के बाद स्वार सीट बनी थी. इससे पहले इस सीट का नाम स्वार टांडा हुआ करता था. 2012 और 2017 के चुनाव में भाजपा की लक्ष्मी सैनी ने यहां से चुनाव लड़ा था. वो जीत तो नहीं पायीं लेकिन दोनों ही चुनावों में वह दूसरे नंबर पर रही थीं. 2012 में 41 हजार और 2017 में 53 हजार वोट लक्ष्मी सैनी को मिले थे. यानी लगभग 50 हजार भाजपा का कोर वोट स्वार सीट पर रहा है. भाजपा ने अब्दुल्ला आजम को शिकस्त देने के लिए अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. स्वार सीट पर लगभग 1 लाख 80 हजार मुसलमान हैं. जबकि एक लाख 20 हजार के करीब हजार के करीब हिंदू वोटर हैं. भाजपा को उम्मीद है कि मुस्लिम कैंडिडेट के चुनाव लड़ने से हिंदू वोट के साथ कुछ मुस्लिम वोट भी उसके साथ जुड़ जाएगा. इसीलिए इलाके में पहचान रखने वाले कैंडिडेट को अपना दल से उतारा है.
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Tags: Anupriya Patel, Azam Khan, CM Yogi Adityanath, Uttar Pradesh Assembly Elections