आजम खान के किले को बचाने मैदान में उतरीं पत्नी तजीन फातिमा

रामपुर सीट से 9 बार जीत दर्ज कर चुके हैं आजम खान.
पहले आजम खान भी इस सीट पर किसी और को उतारे जाने के हिमायती थे लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस सीट पर उनकी पत्नी को टिकट दिया.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: September 30, 2019, 1:48 PM IST
रामपुर. जौहर यूनिवर्सिटी (Jauhar University) के लिए अवैध तरीके से जमीन कब्जाने के साथ ही अन्य आरोपों में फंसे समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सांसद आजम खान (Azam Khan) के डोलते हुए किले को बचाने के लिए अब उनकी पत्नी सामने आ गई हैं. आजम खान के लोकसभा में निर्वाचित होने के बाद खाली हुई रामपुर विधानसभा सीट से अब उनकी पत्नी व राज्यसभा सांसद तजीन फातिमा को सपा ने मैदान में उतारा है. 21 अक्टूबर को होने वाले उपचुनावों में अब तजीन आजम के किले को बचाती दिखेंगी. गौरतलब है कि आजम खान इस सीट से 9 बार विधायक रहे हैं. बड़ी बात यह है कि 1993 के बाद से समाजवादी पार्टी यह सीट कभी नहीं हारी. लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ अलग दिख रही हैं. 84 से ज्यादा मुकदमों में फंसे आजम खान और उनके परिवार के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. जहां एक ओर पार्टी को लगता है कि मुस्लिम बहुल इस सीट पर आजम के खिलाफ हो रही कार्रवाई से सहानुभूति का लाभ मिलेगा, वहीं वह बीजेपी के साथ-साथ बसपा व कांग्रेस को भी करारा जवाब देने में सफल होगी.
बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता- केशव
इससे पहले रामपुर सीट से समाजवादी पार्टी कई नामों पर विचार कर रही थी. सूत्रों की मानें तो खुद आजम खान किसी हिंदू प्रत्याशी को मैदान में उतारने के हिमायती थे. लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजम खान की पत्नी को टिकट देकर साफ कर दिया कि वे इस गढ़ को किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहते. अब आजम खान के कंधों पर इस सीट की पूरी जिम्मेदारी है. हालांकि, बीजेपी ने आजम की पत्नी को टिकट देने के बाद सपा पर तंज भी कसा है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का कहना है कि आजम खान खुद लड़ लें या फिर आजमगढ़ छोड़कर अखिलेश यादव आ जाएं, बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता. बीजेपी सभी 11 सीटों को जीतने जा रही है.
आजादी के बाद से अब तक मुसलमान नेता ही विधायक रहे हैंरामपुर सीट का इतिहास देखें तो आजादी के बाद से इस सीट का नेतृत्व मुसलमान नेता के ही हाथों रहा है. इसमें सर्वाधिक नौ बार आजम खान ही विधायक बने हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर सीट जीतकर वे सांसद बने तो उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना पड़ा. जिसकी वजह से इस सीट पर 21 अक्टूबर को मतदान होगा. हालांकि इस सीट पर मुकाबला वैसे तो बीजेपी और सपा के ही बीच है. लेकिन पहली बार उपचुनाव लड़ रही बसपा और कांग्रेस ने भी प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. बीजेपी ने भरत भूषण गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अरशद अली खां गुड्डू और बहुजन समाज पार्टी ने जुबैर मसूद खां को प्रत्याशी घोषित किया है.
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बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता- केशव
इससे पहले रामपुर सीट से समाजवादी पार्टी कई नामों पर विचार कर रही थी. सूत्रों की मानें तो खुद आजम खान किसी हिंदू प्रत्याशी को मैदान में उतारने के हिमायती थे. लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजम खान की पत्नी को टिकट देकर साफ कर दिया कि वे इस गढ़ को किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहते. अब आजम खान के कंधों पर इस सीट की पूरी जिम्मेदारी है. हालांकि, बीजेपी ने आजम की पत्नी को टिकट देने के बाद सपा पर तंज भी कसा है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का कहना है कि आजम खान खुद लड़ लें या फिर आजमगढ़ छोड़कर अखिलेश यादव आ जाएं, बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता. बीजेपी सभी 11 सीटों को जीतने जा रही है.
आजादी के बाद से अब तक मुसलमान नेता ही विधायक रहे हैंरामपुर सीट का इतिहास देखें तो आजादी के बाद से इस सीट का नेतृत्व मुसलमान नेता के ही हाथों रहा है. इसमें सर्वाधिक नौ बार आजम खान ही विधायक बने हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर सीट जीतकर वे सांसद बने तो उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना पड़ा. जिसकी वजह से इस सीट पर 21 अक्टूबर को मतदान होगा. हालांकि इस सीट पर मुकाबला वैसे तो बीजेपी और सपा के ही बीच है. लेकिन पहली बार उपचुनाव लड़ रही बसपा और कांग्रेस ने भी प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. बीजेपी ने भरत भूषण गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अरशद अली खां गुड्डू और बहुजन समाज पार्टी ने जुबैर मसूद खां को प्रत्याशी घोषित किया है.
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First published: September 30, 2019, 12:36 PM IST
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