रामपुर/नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान की जमानत से जुड़ी इलाहाबाद हाईकोर्ट की शर्त पर रोक लगा दी है. रामपुर विधायक अपनी याचिका में दावा किया था कि यह शर्त उनके जौहर विश्वविद्यालय के एक हिस्से को ढहाने से संबंधित है, जिसे कथित तौर पर शत्रु संपत्ति पर कब्जा करके बनाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्त प्रथम दृष्टया असंगत है और दीवानी अदालत की ‘डिक्री’ की तरह लगती है. इसके अलावा सुप्री कोर्ट ने जौहर विश्वविद्यालय से संबंधित इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्त को चुनौती देने वाली आजम खान की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा है.
आजम खान के वकील ने कही ये बात
सपा विधायक आजम खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि रामपुर के जिलाधिकारी ने एक नोटिस जारी कर विश्वविद्यालय की इमारतों को खाली करने और उन्हें गिराने की बात की है. इस पर पीठ ने कहा कि वह हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्तों पर रोक लगा रही है और अब मामले की सुनवाई छुट्टियों के बाद करेगी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्त को चुनौती देने वाली सपा विधायक आजम खान की याचिका पर सुनवाई के लिए 24 मई को सहमति दी थी.
27 महीने बाद सीतापुर जेल से आजम खान को मिली आजादी
बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए आजम खान को अंतरिम जमानत दी है. वह भ्रष्टाचार समेत कई अन्य मामलों में पिछले 27 महीने से सीतापुर की जेल में बंद थे. इसके साथ ही सपा नेता को अब सभी 88 मुकदमों में जमानत मिल चुकी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल उन्हें अंतरिम जमानत दी गई है. जबकि सपा नेता को रेगुलर बेल के लिए निचली अदालत में दो हफ्ते में अर्जी दाखिल करनी होगी. साथ ही कहा कि जब तक निचली अदालत जमानत पर कोई फैसला नहीं लेती तब तक आजम खान अंतरिम जमानत पर रिहा रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवाई, जस्टिस एस गोपन्ना की बेंच इस पर आजम की जमानत पर फैसला सुनाया था.
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