विभाग की लापरवाही
रिपोर्ट : निखिल त्यागी
सहारनपुर. सहारनपुरके पेपर मिल रोड स्थित इंदिरा गांधी कॉलोनी नगर निगम के वार्ड संख्या 39 में है. कॉलोनी निवासी नीलम गौतम ने बताया कि हमारा परिवार इस कॉलोनी में 5 वर्षों से रह रहा है. अब शासन द्वारा इस कॉलोनी में सूचना बोर्ड लगाकर हमारे मकानों को अवैध बताया गया है. जबकि इससे पहले कभी किसी तरह की अवैध कॉलोनी से संबंधित हमारे पास कोई सूचना शासन से नहीं दी गई.न ही बैनामा कराते समय इस तरह का कोई दस्तावेज हमारे सामने आया.
नीलम गौतम ने कहा कि कॉलोनी वासियों ने मेहनत की कमाई से प्लॉट खरीदें, जिनका नियमानुसार सरकारी स्टांप शुल्क भी अदा करके रजिस्ट्री कराई गई है. उन्होंने बोझिल स्वरों में कहा कि यदि प्राधिकरण द्वारा इस कॉलोनी को अवैध बता दिया गया है, तो यहां के बाशिंदे अब कहां जाएंगे. उनके नुकसान की भरपाई कौन करेगा.
अंतिम समय तक होगा संघर्ष
नकुड़ निवासी अमित शर्मा ने भी इंदिरा गांधी कॉलोनी में अपना मकान बनाया हुआ है. अमित शर्मा ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा लगाए गए सूचना बोर्ड से ही हमें जानकारी मिली है कि यह कॉलोनी अवैध है. जबकि हमने कानूनी तौर पर नियमानुसार स्टांप शुल्क अदा करके बैनामा लिया हुआ है. उन्होंने कहा कि अब सरकार ही इस समस्या का समाधान करें कि यह लोग कहां जाएंगे. अमित शर्मा ने कहा कि समस्या का समाधान होने तक हम अपनी जमीन पर डटे रहेंगे और अंतिम समय तक अपने मकान को बचाने के लिए संघर्ष करेंगे.
आम जनता के साथ हो रहा अन्याय
पार्षद प्रदीप उपाध्याय ने सरकारी अधिकारियों पर आंख मूंद कर काम करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सहारनपुर विकास प्राधिकरण द्वारा कॉलोनी में सूचना बोर्ड लगाकर इसे अवैध घोषित कर दिया गया है. जबकि इसी प्राधिकरण द्वारा इस कॉलोनी में बने मकानों के नक्शे पास हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस भूमि पर 1996 से मुकदमा विचाराधीन था, तो ऐसे में सरकारी अधिकारियों को पारदर्शिता दिखाते हुए इस भूमि को रेड जोन घोषित करना चाहिए था. जिससे कि यहां पर किसी तरह की भी रजिस्ट्री बैनामा अवैध माना जाता. प्रदीप उपाध्याय ने कहा कि सरकार आम जनता के साथ अन्याय कर रही है. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
खामियाजा भुगत रही आम जनता
पार्षद ने कहा कि हम जनता की इस लड़ाई में उनके साथ खड़े हैं, यदि हमें इस प्रकरण में आंदोलन करना पड़ा, तो उसके लिए हम तैयार हैं. उन्होंने कहा कि इस कॉलोनी में जितने भी बैनामे हुए हैं. उसमें सीधे तौर पर प्राधिकरण के अधिकारी दोषी हैं. उन्होंने आंख मूंदकर काम किया है. प्रदीप पवार ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा रजिस्ट्री बैनामो के दौरान कार्यालय में बैठकर ही सत्यापन कर दिया गया. जिसका खामियाजा अब आम जनता को भुगतना पड़ सकता है.
विवादित संपत्ति में कैसे बन गए पीएम आवास
जनपद की इंदिरा गांधी कॉलोनी को प्राधिकरण द्वारा सूचना बोर्ड लगाकर अवैध कॉलोनी घोषित कर दिया गया है. उक्त कॉलोनी में 50 से अधिक प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मकान बन गए हैं. सवाल यह है कि इस विवादित संपत्ति पर किस अधिकारी के सत्यापन के बाद पात्र व्यक्तियों को पीएम आवास योजना के अंतर्गत मकान की धनराशि आवंटित हुई. क्या अब इस प्रकरण के बाद पीएम आवास योजना लाभार्थियों के मकानों को प्राधिकरण द्वारा तोड़ा जाएगा? सरकार द्वारा क्या उन अधिकारियों पर सरकार व प्रशासन की ओर से कार्यवाही नहीं होनी चाहिए.
निगम ने की पानी की व्यवस्था, फिर भी आवास अवैध
इंदिरा गांधी कॉलोनी में नगर निगम द्वारा कॉलोनी वासियों के लिए पेयजल की आपूर्ति की सुविधा शहर की अन्य कॉलोनियों के समानांतर दी गई है. कॉलोनी वासियों का कहना है कि कॉलोनी की सड़कों के लिए निगम द्वारा एस्टीमेट तैयार कर लिया गया है तथा हाउस व वाटर टैक्स के लिए भी स्वीकृति दी गई है. कॉलोनी में बिजली की व्यवस्था के लिए विधायक निधि से करीब 3 लाख रु की धनराशि खर्च करके बिजली के खंभे लगाए गए हैं. कॉलोनी वासियों पर बिजली का बिल नियमानुसार आ रहा है. जिसकी अदायगी भी कॉलोनी वासी समय से कर रहे हैं. सहारनपुर विकास प्राधिकरण की उदासीनता, ढुलमुल कार्यप्रणाली व लापरवाही इस प्रकरण में साफ साफ नजर आ रही है.
.
Tags: Saharanpur news, Uttar Pradesh News Hindi