रिपोर्ट – निखिल त्यागी
सहारनपुर. किसानों को गैर परंपरागत खेती करने की सलाह दी जा रही है. यही कारण है कि कई किसान परंपरागत खेती को छोड़कर गैर परंपरागत खेती कर रहे हैं. किसान स्ट्रॉबेरी, पपीता, अमरूद और आम की खेती करना शुरू कर चुके हैं. सहारनपुर के एक बड़े इलाके में आम की खेती की जाती है. उम्मीद की जा रही है कि इस बार अच्छी फसल होगी.
बागवान संजय कुमार ने बताया कि उनके पास करीब 100 बीघा आम के बाग हैं. जिन पर बहुत अच्छी बहार आई हुई है. यदि आम की इस बहार पर मौसम और बीमारी की वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ, तो इस बार आम की फसल का उत्पादन बहुत अच्छा होगा और फल की गुणवत्ता भी बेहतर रहेगी. उन्होंने बताया कि पेड़ पर आम लगने से पहले कई प्रकार के छिड़काव समय-समय पर करने होते हैं. जिससे फसल पर किसी बीमारी का प्रकोप ना हो. इसलिए फसल को बीमारी से बचाने के लिए पूर्ण रूप से ध्यान केंद्रित करना होता.
ढायकी निवासी बागवान संजय ने बताया कि आम के मौसम से पहले पेड़ पर जो बौर आता है. उस पर तेज हवाएं, बारिश व ओलावृष्टि के कारण बहुत नुकसान हो जाता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार आम की बहार पर मौसम की मार नहीं पड़ेगी और कोविड में लॉकडाउन के समय से बागवानों को जो हानि हुई है, संभावना है कि इस बार आम की फसल से उस हानि की पूर्ति हो जाएगी.
कई प्रजाति के आम के पेड़ लगे हैं बाग में
बागवान संजय ने बताया कि हमारे बाग में कई प्रजातियों के आम के पेड़ लगे हुए हैं, जैसे दशहरी, लंगड़ा, रामकेला व चौसा प्रजाति के आम की पैदावार होती है. उन्होंने बताया कि यदि किसी बाग में कई प्रजाति के आम पैदा होते हैं, तो उस बाग की कीमत या यूं कहें कि किसान और बागवान दोनों को ही अधिक लाभ मिल जाता है, क्योंकि सभी प्रजातियों के मूल्य अलग-अलग मिलते हैं.
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