देवबंद. यूपी विधानसभा चुनाव में देवबंद सीट सभी प्रत्याशियों और पार्टी के लिए खास मायने रखती है. इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम और हिंदू धार्मिक स्थल त्रिपुर सुंदरी सिद्धपीठ के लिए मशहूर देवबंद में ठाकुर वोटरों के दम पर उम्मीदवार चुने जाते रहे हैं. मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है यहां, मगर विधानसभा पहुंचने वाले अधिकतर ठाकुर ही रहे हैं. मौजूदा भाजपा विधायक बृजेश सिंह ने इस परंपरा को बनाए रखा. उन्होंने 2017 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी माजिद अली को हराया था. जाहिर है 2022 का विधानसभा चुनाव भी देवबंद आरक्षित सीट के लिए दिलचस्प रहने वाला है.
देवबंद विधानसभा सीट के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक इस सीट पर दो को छोड़कर हर बार ठाकुर उम्मीदवार ही विधायक बनते रहे हैं. दोनों ही वर्गों के मतदाताओं के रुझान स्पष्ट हैं, जाहिर है कि इस बार के चुनाव में भी सपा-भाजपा के बीच ही लड़ाई रहेगी. लेकिन देवबंद सीट के 3.34 लाख से ज्यादा मतदाता किस दल के प्रत्याशी को अपना प्रतिनिधि चुनते हैं, यह 10 मार्च को पता चलेगा.
लड़ाई को त्रिकोणीय बना सकती है आज़ाद समाज पार्टी
सपा-भाजपा की लड़ाई के बीच 2022 के चुनाव में सियासी माहौल को अलग रंग देने के लिए इस बार भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी भी मैदान में है. आसपा पहली बार देवबंद से किस्मत आजमाने जा रही है. पिछले चुनाव में बसपा की तरफ से मैदान में उतरे माजिद अली 2022 में आजाद समाज पार्टी का दामन थाम चुके हैं. ऐसे में देवबंद सीट का चुनाव, त्रिकोणीय भी रह सकता है.
1952 से देवबंद में हो रहे हैं चुनाव
देवबंद सीट पहली बार 1952 में अस्तित्व में आई थी. 2008 में परिसीमन हुआ पर इस सीट को बरकरार रखा गया. इस सीट पर कब-कब कौन विधायक बना, आइए इस पर एक नज़र डालते हैं:
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