Lockdown 3.0: संभल में फंसे दिल्ली के स्टूडेंट्स, खेतों में गेहूं की कटाई कर पाल रहे अपना पेट

संभल में फंसे दिल्ली के स्टूडेंट्स
Lockdown: सभी छात्र गढ़ गंगा में नहाने के लिए आए थे. इनमें से 8 छात्र दिल्ली के पंजाबी बाग के हैं, वहीं 2 छात्र गाजियाबाद के रहने वाले हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: May 4, 2020, 12:39 PM IST
संभल. कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण के चलते फैली वैश्विक महामारी से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन (Lockdown) जारी है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में दिल्ली के 10 छात्र लॉकडाउन की वजह से फंस गए हैं. उनके पैसे भी खत्म हो गए हैं. ऐसे में उन्हें खाने-पीने की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों के खेतों में गेहूं की कटाई करनी पड़ रही है. सभी छात्र संभल के असालतपुर जारई गांव में फंस गए हैं. असालतपुरा जारई में बढ़िया कपड़े पहने लड़के लड़कियां गेहूं की फसल काटते मिले. हाथों में हंसिए लेकर गेहूं काटते लड़के-लड़कियों से जब गेहूं काटने की वजह मालूम हुई, तो वह बेहद हैरान करने वाला था.
दरअसल, बोर्ड की परीक्षाएं खत्म होने के बाद छात्र गढ़मुक्तेश्वर गंगा नहाने 21 मार्च को आए थे. 22 मार्च को जनता कर्फ्यू था. 24 मार्च तक किसी कारण से वहीं रुके रह गए. 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा हो गई. तब से अब तक छात्र वहीं फंसे हैं. वहीं, लॉकडाउन में अपने खर्च की जरूरत को पूरा करने के लिए ये छात्र-छात्रा खेतों में गेहूं काट रहे हैं, जिससे 100-150 रुपए तक मिल जाते हैं. कोरोना काल की मुसीबत ने हाथ में कलम थामने वाले इन देश के भावी भविष्य तपती दोपहरी में हाथ में हंसिया थामकर गेहूं काटने को मजबूर कर दिया है.
जनता कर्फ्यू से एक दिन आए थे पहले
सभी छात्र जनता कर्फ्यू से एक दिन पहले संभल आ गए थे. गढ़ गंगा में नहाने आए छात्रों के दिन अब बेहद परेशानी से कट रहे हैं. फंसे छात्रों में से 8 दिल्ली के पंजाबी बाग के हैं. दो छात्र गाजियाबाद के रहने वाले हैं. छात्र अपने दोस्त शीतल के मामा भगवान दास के घर आए थे. अगले दिन लॉकडाउन की घोषणा हो गई, सभी छात्र गांव में ही फंसे रह गए.छात्रों का आरोप है कि जब इन्होंने अपने घर जाने की इजाजत चंदौसी के एसडीएम महेश कुमार दीक्षित और एडीएम कमलेश कुमार अवस्थी से मांगी, तो उन्होंने सिर्फ दिलासा दिया. वहीं एक दिन ही खाने-पीने की व्यवस्था कराई गइ. बहरहाल, 43 दिन से दिल्ली से आकर संभल में स्टूडेंट्स गेहूं काटकर लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं.
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दरअसल, बोर्ड की परीक्षाएं खत्म होने के बाद छात्र गढ़मुक्तेश्वर गंगा नहाने 21 मार्च को आए थे. 22 मार्च को जनता कर्फ्यू था. 24 मार्च तक किसी कारण से वहीं रुके रह गए. 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा हो गई. तब से अब तक छात्र वहीं फंसे हैं. वहीं, लॉकडाउन में अपने खर्च की जरूरत को पूरा करने के लिए ये छात्र-छात्रा खेतों में गेहूं काट रहे हैं, जिससे 100-150 रुपए तक मिल जाते हैं. कोरोना काल की मुसीबत ने हाथ में कलम थामने वाले इन देश के भावी भविष्य तपती दोपहरी में हाथ में हंसिया थामकर गेहूं काटने को मजबूर कर दिया है.
जनता कर्फ्यू से एक दिन आए थे पहले
सभी छात्र जनता कर्फ्यू से एक दिन पहले संभल आ गए थे. गढ़ गंगा में नहाने आए छात्रों के दिन अब बेहद परेशानी से कट रहे हैं. फंसे छात्रों में से 8 दिल्ली के पंजाबी बाग के हैं. दो छात्र गाजियाबाद के रहने वाले हैं. छात्र अपने दोस्त शीतल के मामा भगवान दास के घर आए थे. अगले दिन लॉकडाउन की घोषणा हो गई, सभी छात्र गांव में ही फंसे रह गए.छात्रों का आरोप है कि जब इन्होंने अपने घर जाने की इजाजत चंदौसी के एसडीएम महेश कुमार दीक्षित और एडीएम कमलेश कुमार अवस्थी से मांगी, तो उन्होंने सिर्फ दिलासा दिया. वहीं एक दिन ही खाने-पीने की व्यवस्था कराई गइ. बहरहाल, 43 दिन से दिल्ली से आकर संभल में स्टूडेंट्स गेहूं काटकर लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं.
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