सिद्धार्थ नगर. उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर (Siddharthnagar) में शोहरतगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पर इलाज के अभाव में मरीज की मौत हो जाने से प्रशासन एंबुलेंस चालक एवं ईएमटी को दोषी मानते हुए मुकदमा लिखवाने की तैयारी कर रहा है. सीएचसी अधीक्षक डॉ पीके वर्मा डॉक्टर का बचाव करते हुए एंबुलेंस चालक और ईएमटी पर कार्यवाही करने की बात कर रहे हैं.
शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के मड़वा गांव निवासी बालमुकुंद दुबे पिछले 5-6 दिन से कोरोना के लक्षण से परेशान थे. 28 अप्रैल को पत्नी और भाई संग एंबुलेंस से दिन में 2 बजे सीएचसी शोहरतगढ़ पहुंचे. लेकिन सीएचसी शोहरतगढ़ का गेट बंद होने से एंबुलेंस ड्राइवर एवं ईमटी पीड़ित व परिवार को मुख्य द्वार पर उतारकर चला गया. इस दौरान पीड़ित की पत्नी इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर यूसुफ को बुलाती रही लेकिन गेट नहीं खोला और 2 घंटे बाद मरीज की मौत हो गई.
सीएचसी अधीक्षक और एंबुलेंस कर्मी में आरोप-प्रत्यारोप
शोहरतगढ़ सीएचसी अधीक्षक डॉ पीके वर्मा ने कहा कि एंबुलेंस कर्मी मरीज़ को चिकित्सक को सौंपने की बजाए गेट पर ही छोड़ कर चले गए. इसके चलते वह दोषी हैं और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए. वही एंबुलेंस चालक ने कहा कि इमरजेंसी गेट डॉ यूसुफ ने अंदर से लॉक कर रखा था. कई बार बुलाने पर भी गेट नहीं खोला गया. इसी बीच दूसरे केस के लिए फोन आ गया और फोन आने के बाद अधिक समय तक नहीं रुक सकते थे. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ इंद्र विजय विश्वकर्मा ने मामले का संज्ञान लिया है और उन्होंने एडिशनल सीएमओ डॉ एके आजाद को मामले की जांच सौंपी है.
डॉक्टर भी बराबर के दोषी: पीड़ित परिवार
सीएचसी अधीक्षक चिकित्सक को दोषी मानने की बजाए एंबुलेंस चालक और ईमटी को दोषी मान रहे हैं. वहीं पीड़ित परिवार का कहना है कि जब गेट अंदर से लॉक था तो खोला क्यों नहीं ग या? इसमें डॉक्टर भी बराबर के दोषी हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 30, 2021, 09:53 IST