सावन का आखिरी सोमवार होने की साथ ही श्रावणी पूर्णिमा,श्रावणी नक्षत्र और सर्वार्थसिद्धि का विशेष संयोग बन रहा है. (सांकेतिक फोटो)
सिद्धार्थनगर. उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर (Siddharthnagar) जिले में भारत- नेपाल बॉर्डर (India-Nepal border) इलाके में हजारों बहनें इस बार भाई की कलाई पर राखी (Rakhi) नहीं बांध सकेंगी. कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण के चलते भारत नेपाल की सीमाएं पूरी तरह से सील हैं. इसके अलावा जो 68 किलोमीटर की खुली सीमा है वहां पर भी दोनों देशों के जवान तैनात हैं. ऐसे में किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगी हुई है. नेपाल से लगती हुई सीमाएं खुनवा, बढ़नी और ककराहवा बॉर्डर (Kakarahwa Border) की सभी दुकानें बंद हैं. इसके साथ कई बहनें बॉर्डर के इस पार या उस पार अपने भाई को राखी नहीं बांध सकेंगी.
जिले में कोरोना की वजह से लगी पाबंदियों ने कई दुकानों की कमर तोड़ दी है. वहीं, भाइयों की कलाई भी सूनी रहने वाली है. वर्तमान समय में जिले के पांचों तहसील मिलाकर 45 हॉटस्पॉट होने की वजह से घरों से बाहर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी है. इसके साथ दुकानें भी बंद हैं. तीज-त्योहारों के इस महीने में करोड़ों का व्यापार दोनों देशों के बीच होता था. जिसमें से सावन, राखी, बकरीद और हरियाली तीज़ जैसे त्योहारों की वजह से सभी छोटे बड़े दुकानदारों की रोजी-रोटी चलती रहती थी. पर लॉकडाउन की वजह से इनकी कमाई भी लगभग न के बराबर हैं. सीमाएं सील होने से दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पूरी तरह से ठप हैं और रिश्तों में भी तनाव है.
पहली बार नहीं मनाई जाएगी राखी
ऐसा पहली बार होगा जिसमें तराई क्षेत्रों के लोग राखी का त्योहार नहीं मना पाएंगे. पहली बार सिद्धार्थनगर जिले के अंदर से नेपाल सीमा क्षेत्र के उस पार तक राखी पर्व पर भाइयों की कलाइयां सुनी रहेंगी. तराई क्षेत्रों में रहने वाले हजारों बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएंगी. कोरोना की वजह से 24 मार्च से ही सभी सीमाएं सील हैं.
पोस्टल और कुरियर सुविधा भी नहीं
इससे पहले तीज़ त्योहारों पर परिवार से मुलाकात तो हो जाती थी. अगर मुलाकात नहीं होती तो कुरियर के जरिए राखी पहुंचाई जा सकती थी. लेकिन इस बार ऐसी कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है. भारत और नेपाल के रिश्तों में आई खटास और कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से इस साल दोनों देशों में रहने वाले भाई-बहन मायूस हैं.
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