उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का सोनांचल हमेशा से ही खनिज संपदा (Minerals) के मामले में धनी रहा है. सोनभद्र (Sonbhadra) में सोना होने का आभास वैसे तो अंग्रेजों को भी था. यही कारण है कि उन्होंने भी यहां सोना खोजने की कोशिश की थी लेकिन वो कामयाब नहीं हो सके थे. यही कारण है कि यहां सोन पहाड़ी का नाम उसी खोज के कारण पड़ा. बहरहाल, आजाद भारत में सोनभद्र में सोने की खोज लगभग 40 साल पहले शुरू हुई थी. इसका प्रमाण 1980 के दशक में मिलता है. इसके बाद दो दशकों तक प्रयास हुए लेकिन सफलता नहीं मिली. 15 साल पहले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने यहां खनिजों की खोज शुरू की. आखिरकार वर्ष 2012 में भू-वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की कि सोनभद्र में सोने की खान है. लेकिन मुश्किल ये थी कि ये खान कहां है? इसके बाद आठ साल की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार जनवरी 2020 में दो जगहों पर सोने के अयस्क मिलने की बात सामने आई है.
सरकारी अभिलेखों में जो जानकारी दर्ज है, उसके हिसाब से 1980 के दशक में यहां पहली बार सोने की खोज शुरू हुई थी. उस समय कुछ जगहों को चिन्हित भी किया गया. लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी. इसके बाद 1990-1992 में फिर खोज शुरू हुई और इस बार भी कुछ जगहों को चिन्हित किया गया लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया. इसके बाद वर्ष 2005 से 2012 तक कई चरणों में पीली धातु (सोना) खोज शुरू हुई. इस दौरान सोना होने की जानकारी मिली. जानकारी के अनुसार सरकार की तरफ से इलाके का सीमांकन का काम पूरा हो चुका है.
उधर सोनभद्र जिले में मिले करीब 12 लाख करोड़ रुपये की कीमत वाले 3,350 टन सोने ने एक बार फिर भारत की उम्मीदें बढ़ा दी है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में भारत के पास करीब 626 टन सोने का भंडार है. वहीं, सोनभद्र जिले में मिला सोना इससे करीब पांच गुना ज्यादा है. माना जा रहा है कि सोने के रिजर्व को लेकर भारत दुनिया के टॉप तीन देशों में शामिल हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED : February 21, 2020, 13:49 IST