लखनऊ. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) पर कोरोना का ऐसा साया छा गया कि चुनाव आयोग (Election Commission) को रैलियों पर रोक लगानी पड़ी. ऐसी स्थिति में सभी राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया के जरिये ही प्रचार करने को मजबूर होना पड़ा. लगभग हर रोज ही वर्चुअल रैलियां हो रही हैं, लेकिन सत्ताधारी भाजपा (BJP in UP Polls) सिर्फ इसी के सहारे नहीं बैठी है. भाजपा के सभी बड़े नेता अब चुनाव प्रचार में जमीन पर उतर गए हैं. वे रैलियां तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन जनसंपर्क सघनता से शुरू कर दिया है. अमित शाह, जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर, सीएम योगी आदित्यनाथ सहित सभी नेता लगातार विभिन्न जिलों के दौरे पर रह रहे हैं.
पहले चरण के तहत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11 जिलों की 58 सीटों पर 10 फरवरी को वोटिंग होनी है. अभी तक चुनाव आयोग ने रैलियों और नुक्कड़ सभाओं पर से रोक नहीं हटाई है, लेकिन भाजपा ने इसका तोड़ निकाल लिया है. भाजपा के सभी बड़े नेता पहले चरण के तहत वोटिंग वाले जिलों में उतर गए हैं. गृह मंत्री अमित शाह मेरठ, बागपत और शामली के दौरे पर हैं. वे अलग-अलग समुदाय के लोगों से बातचीत करेंगे.
वहीं बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा बिजनौर के दौरे पर हैं. इस जिले में यूं तो दूसरे चरण में मतदान होना है, लेकिन नड्डा की सक्रियता लगातार बनी हुई है. उधर सीएम योगी आदित्यनाथ अलीगढ़ और बुलंदशहर के दौरे पर हैं. भाजपा के सभी नेताओं का फोकस डोर-टू-डोर कैम्पेन पर बढ़ता जा रहा है.
बाकी दलों के नेता भी चुनाव प्रचार तो कर रहे हैं, लेकिन उनका जोर या तो प्रेस कॉन्फ्रेंस पर है या वर्चुअल संवाद पर. भाजपा को टक्कर दे रहे अखिलेश यादव हर रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं. वे अपनी हर पीसी में एक नया वादा जनता के सामने रखते हैं. इसके अलावा सपा के बड़े नेता वर्चुअली संवाद कर रहे हैं, यानी फेसबुक लाइव या फिर यूट्यूब के सहारे अपनी बात पहुंचा रहे हैं. अखिलेश यादव कब खुद फील्ड में निकलेंगे इस सवाल के जवाब में सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि पार्टी का काडर डोर-टू-डोर कैम्पेन में लगा है. सभी फ्रन्टल संगठनों के नेता और कार्यकर्ता लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- नोएडा का यह प्रत्याशी है सबसे अमीर, जानें किसके पास है कितनी संपत्ति
वर्चुअल संवाद और डोर-टू-डोर कैम्पेन में कई बड़े अंतर हैं. बिहार, हरियाणा और अब यूपी चुनाव में काम कर रहे सोशल मीडिया स्ट्रैटजिस्ट सुलभ सिंह ने बताया कि वर्चुअल संवाद प्रभावी तो है लेकिन जनता के सामने खड़े होकर नेता के बात करने से प्रभाव अलग पड़ता है. ऐसा करने पर नेताओं को जनता के मन में छुपी बात को समझने का भी मौका मिलता है. जब दोनों साथ हो जाते हैं तो जनसंपर्क की धार और मजबूत हो जाती है.
ये भी पढ़ें- जब हस्तिनापुर की कांग्रेस प्रत्याशी बिकिनी गर्ल का दिखा साड़ी अवतार
भाजपा इसे बेहतर ढंग से समझती है इसीलिए उसके बड़े से बड़े नेता जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं. पार्टी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि जनता से सीधे संवाद का अलग मतलब होता है. हमारे बड़े नेता को निकाय के चुनाव में भी डोर-टू-डोर कैम्पेन करते रहे हैं.
कोरोना के नए मामलों की संख्या में फिलहाल कोई कमी नहीं देखी गई है. ऐसे में यही लगता है कि रैलियों और जनसभाओं पर रोक जारी रह सकती है. फिर भी चुनाव आयोग जल्दी ही इसपर फैसला लेने वाला है. फिलहाल आयोग की अनुमति है कि सिर्फ पांच-पांच की टोली में जनसंपर्क किया जा सकता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: UP BJP, Uttar Pradesh Assembly Elections, Uttar Pradesh Elections