(ममता त्रिपाठी)
यूं ही नहीं कहा जाता कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हमेशा चुनावी मोड में रहती है. 2022 विधानसभा चुनाव जीतने के साथ ही भाजपा ने 2024 की तैयारियां शुरू कर दी हैं. भाजपा के रणनीतिकार बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि उत्तर प्रदेश उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है. विधानसभा के बाद अब भाजपा ने विधान परिषद की सीटों को जीतने के लिए शतरंज की बिसात बिछा दी है. प्रत्याशियों के चयन में पार्टी ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ साथ 2024 को ध्यान में रखते हुए सामाजिक समीकरणों का पूरा खयाल रखा है. भाजपा ने 12 क्षत्रिय, 9 पिछड़े, 5 ब्राह्मण, 3 वैश्य और 1 कायस्थ को विधान परिषद के चुनाव में टिकट देकर सोशल इंजिनियरिंग की है.
संगठन के काफी पदाधिकारियों को टिकट दिए
इसी सोशल इंजिनियरिंग के तहत अपने संगठन को मजबूत करने के लिए और कार्यकर्ताओं में जोश भरने की मंशा के साथ संगठन के काफी पदाधिकारियों को टिकट दिए गए हैं. प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता, प्रदेश मंत्री विजय शिवहरे, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रांशु दत्त द्विवेदी, पवन सिंह, प्रज्ञा त्रिपाठी समेत कई जिलाध्याक्षों को भी पार्टी ने टिकट दिया है. किसी को भी नाराज ना करने की रणनीति के तहत जो दूसरे दलों के क्षत्रप विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में आए थे उनको भी पार्टी ने खुश करते हुए टिकट बांटा है. नरेश अग्रवाल की हरदोई और आसपास के इलाकों में अच्छी पैठ है तो उनके करीबी अशोक अग्रवाल को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. इसी तरह फैजाबाद सीट से अंबेडकर नगर के पूर्व सांसद हरिओम पांडेय और प्रतापगढ़ सीट से पूर्व विधायक हरिप्रताप सिंह को टिकट मिला है. मायावती सरकार में कैबिनेट सेक्रेटरी रहे शशांक शेखर वर्मा की भाभी वंदना मुदित वर्मा को पार्टी ने सहारनपुर-मुजफ्फरनगर से चुनाव मैदान में उतारा है.
सपा से बागी हुए चारों एमएलसी को मिला टिकट
लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने जमीनी को और मजबूत करने के इरादे से सपा से बागी हुए चारों एमएलसी को फिर से विधान परिषद का ही टिकट दिया है. ये चारों अपनी जाति और इलाके के कद्दावार नेता हैं. सीपी चंद के पिता मार्कडेय सिंह पूर्व मंत्री रहे हैं. रविशंकर सिंह पप्पू तीन बार से एमएलसी हैं और पूर्व प्रधानमंत्री युवा तुर्क चंद्रशेखर के पौत्र हैं. चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर भाजपा से ही सांसद हैं. रमा निरंजन बुंदेलखंड की राजनीति में अच्छी पकड़ रखती हैं और पिछड़ों के बड़े चेहरे में उनकी गिनती होती है. इसी तरह नरेंद्र भाटी के जरिए भाजपा ने पश्चिम के बड़े वोट बैंक गुर्जरों को साधने की कोशिश की है. गांधी परिवार के करीबी दिनेश प्रताप सिंह को भी रायबरेली से टिकट देने के पीछे यही रणनीति है ताकि भगवा का हर जगह विस्तार हो सके और लोकसभा के चुनावों में पार्टी ज्यादा सीटें जीत सके.
36 सीटों के लिए 9 अप्रैल को चुनाव
इस समय परिषद में भाजपा के 35, सपा के 17, बसपा के 4, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी और कांग्रेस के एक एक सदस्य हैं. स्थानीय निकाय कोटे की 36 सीटों के लिए 9 अप्रैल को चुनाव होना है. इस चुनाव के नतीजे तय करेंगे कि विधान परिषद में किस दल के पास बहुमत है. 12 अप्रैल को इस चुनाव के नतीजे आएंगे.
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