रिपोर्ट: अभिषेक जायसवाल
वाराणसी: बसंत पंचमी के दिन 1916 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) की स्थापना हुई थी. महामना मदन मोहन मालवीय ने इस विश्वविद्यालय को दान के पैसों से बनवाया था. इस दौरान महामना ने देश के तमाम हिस्सों का भ्रमण कर लोगों से चंदा इकट्ठा किया था. उन्हें कई बार लोगों के घर से निराश भी लौटना पड़ा था. ऐसा ही एक मशहूर किस्सा हैदराबाद के निजाम से जुड़ा है.
बीएचयू के निर्माण के लिए महामना पंडित मदन मोहन मालवीय चंदा इकट्ठा करने के लिए हैदराबाद के निजाम के यहां पहुंचे. वहां उन्होंने निजाम से विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए सहयोग मांगा. निजाम ने उन्हें साफतौर पर आर्थिक चंदा देने से इनकार कर दिया और दान में उन्हें अपनी जूती दे दी. दान में जूती मिलने से भी महामना निराश नहीं हुए और वह उस जूती को लेकर आगे बढ़ गए.
निजाम ने मांगी माफी
बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि महामना ने सड़क पर ही निजाम की जूती को नीलाम करना शुरू कर दिया. सड़क पर पगड़ी बांधे शख्स को जूती नीलाम करते जब निजाम की मां चारमीनार ने देखा तो उसने इसकी सूचना बेटे तक पहुंचवाई. इसके बाद निजाम दौड़े-दौड़े महामना के पास पहुंचे और उन्होंने महामना से माफी मांगी. साथ ही, विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए भारी रकम दान में भी दी.
पिता से मिला था पहला दान
बताते चलें कि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू की स्थापना भिक्षा मांगकर दान के पैसों से की थी. विश्वविद्यालय के स्थापना के लिए सबसे पहले उनके पिता ने उन्हें दान दिया था.
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Tags: BHU, UP news, Varanasi news
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