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Chaitra Navratri: काशी के उस मंदिर की कहानी जहां वध के बाद देवी ने किया था विश्राम

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शुम्भ

शुम्भ निशुम्भ के दर्शन के बाद यहां ठहरी थी देवी

Varanasi Temple: बाबा विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) के शहर वाराणसी में भी देवी के कई शक्तिपीठ हैं, जो चमत्कारिक हैं. वारा ...अधिक पढ़ें

    रिपोर्ट-अभिषेक जायसवाल

    वाराणसी: शक्ति आराधना के पर्व नवरात्र (Navratra) में मां दुर्गा के तमाम मंदिरों में भक्तों की भीड़ है. बाबा विश्वनाथ Kashi Vishwanath) के शहर बनारस (Banaras) में भी देवी के कई शक्तिपीठ है,जो चमत्कारिक है. वाराणसी के दुर्गा कुंड में मां कुष्मांडा देवी का ऐसा ही प्राचीन मंदिर है जिसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. मान्यता है कि दैत्य शुम्भ निशुम्भ के वध के बाद देवी ने यही विश्राम किया था. काशी के इस मंदिर में दर्शन से हर मुराद पूरी होती है. यही वजह है कि यहां दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं.

    मंदिर से जुड़ी एक कहानी ये भी है कि सुबाहु नाम के राजा ने इसी जगह पर कठिन तप कर देवी को प्रसन्न किया था और देवी से अपनी राजधानी काशी में निवास करने का वरदान मांगा, बस तभी से मां दुर्गा कुष्मांडा रूप में यहां विराजमान हो गईं. भगवत पुराण में इस बात का जिक्र भी है.

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    नवरात्र में नौ दिन होती है भीड़

    काशी के इस शक्तिपीठ में नवरात्रि के 9 दिनों तक भक्तों की भीड़ लगी होती है. अलावा मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन को आतें है. मंदिर के महंत परिवार से जुड़े चंदन दुबे ने बताया कि यहां देवी के दर्शन से सभी मुरादें पूरी होती हैं. इसके अलावा भय बाधा से भी लोगों को मुक्ति मिल जाता है.

    18वीं सदी में हुआ था मंदिर का निर्माण

    काशी में देवी का ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. भक्तों की भी ऐसी आस्था है कि देवी के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. काशी के इस मंदिर की नागर शैली की है. कहा जाता है कि 18 वीं शताब्दी के पूर्व नाटौर की रानी भवानी ने इसका निर्माण कराया था. इसके बाद बंगाल की महारानी ने इसका पुनः निर्माण कराया था, तब से यह मंदिर उसी स्वरूप में है.

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