वाराणसी: जनवरी के महीने में बिगड़े मौसम के मिजाज और चुनाव में डिजिटल प्रचार ने फूल कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.हालात ये हैं कि मौसम के कारण फूलों की खेती करने वाले किसानों को 20 फीसदी तक का नुकसान हुआ है.तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना के कारण जनसभा और रोड शो पर लगे रोक की वजह से इस चुनावी सीजन में फूल माला की डिमांड कम हो गई है.यही नहीं मंच पर नेता जी की शोभा बढ़ाने वाले वीआईपी माला की डिमांड भी इस बार बिल्कुल नहीं है.
फूल माला के कारोबार से जुड़े विशाल ने बताया कि इस बार चुनाव में जनसभा और रोड शो नहीं होने के कारण सजावट के ऑर्डर नहीं आ रहे हैं.इसके अलावा सबसे ज्यादा डिमांड चुनाव के वक्त में वीआईपी माला की होती थी.लेकिन इस बार उसकी भी बिल्कुल डिमांड नहीं है.क्योंकि अभी फिलहाल सभी पार्टियां डिजिटल प्रचार ही कर रही हैं.ऐसे में इसका सीधा असर फूल के कारोबारियों पर पड़ रहा है.
5 सौ हेक्टेयर में होती है खेती
बताते चलें कि मौसम के कारण पहले ही वाराणसी के फूल कारोबार से जुड़े व्यापारी और किसानों को फसल का नुकसान हुआ और अब डिजिटल प्रचार ने उन्हें और भी चोट दी है.जिला उद्यान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक,वाराणसी जिले में 5 सौ हेक्टेयर में फूलों की खेती होती है.इस खेती में गेंदा के फूल की सबसे ज्यादा पैदावार है.
20 फीसदी तक नुकसान का अनुमान
हर साल इस कारोबार से करीब 30 करोड़ का मुनाफा यहां के किसानों को होता था.लेकिन इस बार जनवरी के महीने में बिगड़े मौसम के मिजाज और डिजिटल प्रचार ने कारोबारियों को चोट दी है. जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि जनवरी के महीने में मौसम के बदले मिजाज के कारण फूल की खेती करने वाले किसानों की 15 से 20 फीसदी फसल के नुकसान का अनुमान है.
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