रिपोर्ट- अभिषेक जायसवाल
वाराणसी. बाबा विश्वनाथ के शहर बनारस में हिन्दू नव वर्ष का आगाज खास तरीके से हुआ. काशी के घाट पर भगवान सूर्य की पहली किरण के साथ ही बटुकों और संतों ने जल अर्पण किया और फिर सूर्य नमस्कार के साथ नए साल का स्वागत हुआ. सूर्य नमस्कार से पहले बटुकों ने बैंड की धुन के बीच झंडारोहण भी किया. इस दौरान वैदिक मंत्रों से बनारस का घाट गूंज उठा. इस मौके पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सनातनी पंचांग का विमोचन भी किया गया.
वाराणसी के शंकराचार्य घाट पर बटुक एक रंग के खास परिधान में भगवान सूर्य को नमस्कार कर नए साल का स्वागत करते नजर आए. इस दौरान घाट की सीढ़ियों पर फूलों से नव संवत्सर 2080 की तस्वीर को भी उकेरा गया, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र रही. हिन्दू नव वर्ष के इस विशेष आयोजन में सभी वर्ग के लोग मौजूद रहे.
देश की समृद्धि की कामना
बनारस के शंकराचार्य घाट के अलावा दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर भी विभिन्न आयोजन हुए. गंगा आरती के साथ हवन पूजन का दौर भी चला. यज्ञ की आहुतियों के बीच लोगों ने देश के समृद्धि और सुख शांति की कामना भी की. इस दौरान हर हर महादेव का जयघोष भी सुनाई दिया. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही हिन्दू नव वर्ष की शुरूआत होती है. इस दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी. इसलिए ये दिन सनातनियों के लिए बेहद खास होता है. नव संवत्सर से ही वासन्तिक नवरात्रि की शुरुआत भी हो जाती है.
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