काशी में भगवान शंकर का मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द की इबारत लिख रहा है. जी हां, वाराणसी (Varanasi) में एक मुस्लिम महिला अपने धर्म से ऊपर उठकर शिव मंदिर का निर्माण करा कर भाईचारे की मिशाल पेश कर रही है. अगर पेश से वकील नूर फातिमा (Advocate Noor Fatima) की मानें तो भगवान शंकर ने खुद सपने में आकर उन्हें मंदिर स्थापित करने को कहा था.
सांस्कृतिक नगरी काशी को गंगा जमुनी तहजीब का शहर ऐसे ही नहीं कहा गया है. यदि यहां मुस्लिम महिलाएं भगवान राम की आरती उतारती हैं तो हिंदू भाई रमजान के रोजे रखकर प्रेम व सौहार्द्र का पैगाम देते हैं. जबकि वाराणसी की निवासी नूर फातिमा भी अलग पहचान रखती हैं. पेश से वकील फातिमा मुस्लिम होने के बाद भी भगवान शंकर के मंदिर की स्थापना करा कर भाईचारे और साम्प्रदायिकता का ताना बना बुन रही हैं. नूर फातिमा की मानें तो भगवान शंकर ने सपने में आकर मंदिर निर्माण को कहा था, लेकिन जब उन्होंने इसे एक सपना समझ कर भूलना चाहा तो तामाम परेशानियां आने लगीं. इसके बाद उन्होंने धर्म से ऊपर उठ कर भोले नाथ के मंदिर का निर्माण कराया.
बनारस के कचहरी में फौजदारी की वकील नूर फातिमा बताती है कि जहां मैं रहती हूं वह कॉलोनी हिंदुओं की है. मैं सिर्फ यहां अकेली मुस्लिम महिला हूं. उन्होंने कहा कि जब मेरे पति की डेथ हुई तो मुझे सपने में बड़े बड़े मंदिर दिखते थे. हालांकि उस पर हमने कोई ध्यान नहीं दिया कि ये स्वप्न क्यों रहे हैं. इसके बाद हमारी कॉलोनी में बहुत सारे एक्सीडेंट हुए जिसमें काफी लोगों की मौत हो गई. फिर मैंने इस मंदिर का निर्माण करवाया और फिर सबकुछ ठीक हो गया. उन्होंने कहा कि 2004 में मैंने यह मंदिर बनवाया है, जिसमें सिर्फ तीन महीने लगे थे. हालांकि वह कहती हैं कि यह मंदिर मैंने नहीं बल्कि ऊपर वाले ने बनवाया है. नूर फातिमा ने कहा कि यदि हिंदू-मुसलमान मिलकर रहेंगे तो देश का विकास होगा.आपको बता दें कि फातिमा मंदिर में पूजा करने के अलावा नमाज भी बखूबी पढ़ती हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 20, 2020, 20:10 IST