रिपोर्ट-अभिषेक जायसवाल,वाराणसी
वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी का मुद्दा अब चर्चा में है.कोर्ट कमीशन की कार्रवाई को लेकर हंगामे और फिर कोर्ट में सुनवाई के बीच अब मस्जिद के नाम को लेकर आवाज उठने लगी है.काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी का दावा है कि ज्ञानवापी (Gyanvapi) क्षेत्र में स्थित विवादित स्थल ज्ञानवापी मस्जिद नहीं बल्कि आलमगीर मस्जिद है.जिसका निर्माण औरंगजेब ने कराया था और उसी के नाम पर इस मस्जिद का नाम आलमगीर मस्जिद पड़ा था.
आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि ज्ञानवापी हम हिंदुओ का तीर्थस्थल है.जिसे हम ज्ञानवापी कूप या ज्ञानोदक नाम से जानते हैं.हमारे तीर्थस्थल के नाम से मस्जिद का नाम जोड़ना गलत है.उन्होंने आगे कहा कि सनातनी भाइयों से हमारा निवेदन है कि वो भी इस मस्जिद को ज्ञानवापी के नाम से न जोड़ें.ज्ञानवापी तीर्थ और आलमगीर मस्जिद दोनों अलग स्थान हैं.
आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि 1980 के दशक में लोग उसे आलमगीर मस्जिद के नाम से ही जानते थे,उसके बाद धीरे-धीरे बोलचाल की भाषा में उस मस्जिद को ज्ञानवापी के नाम से जोड़ा जाने लगा और अब लोग उस आलमगीर मस्जिद को ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जानते हैं जो पूरी तरीके से गलत है.
जानिए क्या है ज्ञानवापी कूप का महत्व ?
मान्यताओं के मुताबिक, ज्ञानवापी वो तीर्थ है जहां आज भी बाबा विश्वनाथ द्रव्य रूप में विराजमान हैं.धरती पर गंगा के आगमन से पूर्व भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल से इस कूप का निर्माण किया था.उसके बाद उन्होंने इसी जगह पर मां पार्वती को ज्ञान दिया था जिससे इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा.
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