रिपोर्ट-अभिषेक जायसवाल,वाराणसी
वाराणसी:-सनातन धर्म में वट सावित्री पूजा (Vat Savitri puja) का विशेष महत्व है.हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को ये विशेष पूजा की जाती है.इस खास दिन पर महिलाएं व्रत रखने के साथ ही खास विधि से वट वृक्ष के नीचे पूजा करती हैं.जिससे उन्हें अखण्ड सौभाग्य के वर के साथ सुख समृद्धि का वरदान भी मिलता है.इस दिन वट वृक्ष के नीचे कथा सुनने की भी परम्परा है.काशी (Kashi) के जाने माने ज्योतिषी और विद्वान कन्हैया महाराज ने बताया कि इस दिन महिलाएं व्रत रखने के साथ ही वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे कच्चे सूत से 7,11,51 या 108 बार परिक्रमा करने के साथ दीप प्रज्वलित कर सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं.इसके अलावा वट वृक्ष के नीचे पूजा के दौरान मौसमी फल और श्रृंगार के समान चढ़ाने की भी परम्परा है.इस तरह पूजा करने से भगवान उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
सभी बाधाओं से मिलती है मुक्ति
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक वट वृक्ष में ब्रह्मा,विष्णु और भगवान शंकर का वास है.इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी के पूजन का भी विधान है.वट सावित्री की पूजा से सुहागिन महिलाओं के पति की आयु लम्बी होती है और वट वृक्ष के परिक्रमा से जीवन मे आने वाली सभी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है.
बन रहा खास संयोग
यही वजह है कि इस दिन महिलाएं वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना करती है.इस बार ये व्रत आने वाले सोमवार यानी 30 मई को मनाया जाएगा.इस बार इस तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है जो इस व्रत के फल को कई गुना अधिक बढ़ाने वाला है.
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