रिपोर्ट- अभिषेक जायसवाल
वाराणसी: नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) की तरह संत रविदास भी अकूत संपत्ति के मालिक हैं. करोड़ों की नगदी के साथ संत करीब के पास करोड़ों का सोना भी है. संत रविदास को ये सब धन दौलत उनके श्रद्धालुओं ने ही उन्हें दान में दिया है. जानकारी के मुताबिक संत रविदास के पास 130 किलो के सोने की पालकी, 35 किलो के सोने का दीपक, 35 किलो की सोने की छतरी और 32 स्वर्ण कलश हैं.
इस तरह कुल मिलकर करीब 250 किलो सोना संत रविदास जी के पास हैं. इसके अलावा उनके जन्मस्थली में बना मन्दिर का शिखर भी स्वर्ण मंडित है. इसलिए इसे गोल्डन टेम्पल भी कहा जाता है. काशी विश्वनाथ के अलावा काशी (Kashi) का ये दूसरा मंदिर है जो स्वर्ण मंडित है. मंदिर ट्रस्ट से जुड़े निरंजन दास चीमा ने बताया कि संत रविदास का ये मंदिर ऐतिहासिक है. इसका शिलान्यास 1965 में हुआ था और 1972 में ये बनकर तैयार हो गया था. उसके बाद रैदासियों के इन मक्का स्वर्ण मंडित हो इसके लिए भक्तों ने ही दिल खोलकर दान दिया और आज यहां लगभग 250 किलो सोने के सामान हैं.
130 किलो सोने की पालकी
संत रविदास के इस मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी है. साल 2008 में यूरोप के भक्तों ने संगत कर इसे बनवाया था और उसी समय बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसका अनावरण किया था. बताते चलें कि इस पालकी को साल में एक बार जयंती के दिन ही निकाला जाता है. 1994 में चढ़ा था स्वर्ण कलश संत रविदास के इस मंदिर का निर्माण 1972 में पूरा हुआ था. लेकिन यहां पहला स्वर्ण कलश 1994 में संत गरीब दास ने संगत के सहयोग से चढ़ाया था. बाद में गुरु भक्तों ने और दान दिया और ये मन्दिर 32 स्वर्ण कलशों से सुशोभित हुआ.
2012 में बना स्वर्ण दीपक
इसके अलावा साल 2012 में 35 किलो सोने का स्वर्ण दीपक भी बनवाया गया. इसी स्वर्ण दीपक में अखंड ज्योति जलाई जाती है. इस दीपक में एक बार में 5 KG घी भरा जाता है.
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