बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी (Kashi) में गर्मी का सितम जारी है. मार्च के महीने में ही भीषण गर्मी का असर अब मोक्षदायिनी गंगा (Ganga) पर भी दिखने लगा है.प्रचंड गर्मी के कारण वक्त से पहले गंगा सूखने लगी है और इसके कारण मार्च के महीने में ही गंगा में रेत के टीले दिखाई देने लगे हैं.आम तौर पर गंगा में ऐसी तस्वीर मई और जून के महीने में दिखाई देती है लेकिन इस बार मार्च के महीने में ही गंगा में रेत के टीले उभर आए हैं.वाराणसी (Varanasi) के रविदास घाट (Ravidas Ghat) के सामने बीच गंगा में मार्च के अंतिम सप्ताह में ही रेत के टीले दिखने लगे हैं.इन रेत के टीलों को देख कर आशंका जताई जा रही है कि इस बार प्रचंड गर्मी का कहर देखने को मिलेगा.वहीं मार्च के महीने में उभरे रेत के टीलों ने वैज्ञानिकों की चिंता भी बढ़ा दी है.
वैज्ञानिको ने बताई ये वजह
बीएचयू महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र के चेयरमैन प्रोफेसर बी डी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा में पानी का प्रवाह कम होने के कारण सिल्ट्रेशन रेट बढ़ जाता है जिसके कारण समय से पहले ही गंगा में रेत के टीले दिख रहे हैं. इसके अलावा उत्तराखंड में बने बांध के कारण पानी रोका जा रहा है जिसके कारण गंगा में प्रवाह कम है. इसके अलावा गंगा के जल का दोहन और सिंचाई में गंगा के पानी का इस्तेमाल के कारण इस तरह की समस्या वक्त से पहले गंगा में दिखाई देने लगी है.जिसका सीधा असर जलीय जीव जंतुओं ओर पड़ता है और गंगा इससे प्रदूषित भी होती है.
रिपोर्ट- अभिषेक जायसवाल-वाराणसी
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