नीदरलैंड्स में 89 साल की महिला के कोरोनावायरस से दोबारा संक्रमित होने से मौत हो गई. (सांकेतिक तस्वीर)
वाराणसी. वाराणसी (Varanasi) के सर सुन्दरलाल अस्पताल (Sir Sundarlal Hospital) में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. कोरोना संक्रमण (Corona Infection) से एडिशनल सीएमओ की मौत के बाद उनके शव की अदला बदली हो गयी. मामला तब खुला जब एडिशनल सीएमओ जंग बहादुर का परिवार किसी दूसरे शव का अंतिम संस्कार कर दिया. सर सुंदरलाल चिकित्सालय बीएचयू में बुधवार सुबह अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ जंग बहादुर की मृत्यु हो गई. बीएचयू के मोर्चरी स्टाफ द्वारा डॉ जंग बहादुर के डेथ पेपर के साथ उनके रैपर पैक्ड डेड बॉडी के स्थान पर एक अन्य मृत व्यक्ति की रैपर पैक्ड डेड बॉडी दे दी.
ऐसे खुला मामला
मामला उस वक्त खुला जब जब सीएमओ के परिजन डेथ बॉडी को लेकर हरीश चंद्र घाट पहुचें और बॉडी का दाह संस्कार करने लगे. उसी समय दूसरे परिवार के लोग उस बॉडी को अपना बताने लगे. जिसके बाद दोनों परिवार बीएचयू मोर्चेरी पहुचें और अपने-अपने बॉडी की मांग करने लगें.
जिलाधिकारी कार्यालय ने कही ये बात
सूचना पाकर पहुचीं स्वास्थ्य विभाग की टीम और बीएचयू के डॉक्टरों ने जब मामला समझा तो होश उड़ गए. हालांकि मामले को जब अधिकारियों ने समझा तो पता चला कि शवो की अदला बदली हो गयी है.
जिलाधिकारी कार्यालय से इस बारे में विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें बताया गया कि कोरोना काल में प्रोटोकॉल के अनुसार रैपर पैक्ड डेड बॉडी दिये जाने का ही प्रावधान है.
हरिशचन्द घाट पर इस डेड बॉडी के लकड़ी की चिता पर दाह संस्कार के समय दूसरे डेड बॉडी के परिजन पहुंचें और बताया कि यह डेड बॉडी उनके परिवार की है. शायद डॉ जंग बहादुर की डेड बॉडी अभी मर्चरी में ही हैं. डॉ जंग बहादुर के परिजन बीएचयू मर्चरी में पहुँचकर उनकी डेड बॉडी को प्राप्त किया तथा उसे विद्युत शवदाहगृह में ले जाकर अपने और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं अन्य स्टाफ की उपस्थिती में अंतिम संस्कार किया. दूसरे मृत व्यक्ति के परिजनों ने घाट पर बिना किसी विरोध के जलती हुयी चिता को स्वीकार किया और आगे अंतिम संस्कार के रीति-रिवाजों को पूर्ण कराया.
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