वाराणसी: देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी (kashi) में कठपुतली आजादी की गाथा सुना रही हैं.आजादी के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के तहत विश्व कठपुतली दिवस के अवसर पर पुतुल महोत्सव का आयोजन हुआ.तीन दिवसीय इस महोत्सव में राजस्थान से आए कलाकारों ने कठपुतली डांस के जरिए आजादी के वीर सपूतों की गाथा सुनाई.वाराणसी (Varanasi) के अस्सी घाट से इस महोत्सव का आगाज हुआ जो तीन दिनों तक चलेगा.
आयोजन के अंतिम दिन बड़ा लालपुर स्थित ट्रेड फैसिलिटी सेंटर में इस शो को किया जाएगा.संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली द्वारा इसका आयोजन हो रहा है.जिसकी थीम आजादी के रंग पुतुल के संग रखा गया है.बताते चलें कि वाराणसी में आयोजित इस उत्सव का मकसद खत्म हो चुके कठपुतली कला को बढ़ावा देना है.
कला नहीं होतीखत्म
कलाकार पूरन भट्ट ने बताया कि सरकार की ये नेक पहल है.जिसके माध्यम से भारत की सभी कलाओं से लोगों को रूबरू कराने के लिए इस तरह के आयोजन कर रही है.बदलते दौर में इसे देखने वाले कम जरूर हो गए हैं लेकिन कला कभी भी खत्म नहीं होती.
निर्जीव पुतलों में देते हैं जान
पद्मश्री राजेश्ववर आचार्य ने बताया कि पहले हमारे यहां मिट्टी और काष्ठ के खिलौने से लोग खेलते थे ये उसी कला का हिस्सा है.इस कला के जरिए हाथों की उंगलियों में बंधे धागे निर्जीव पुतलों में भी जान डाल देते हैं और फिर वो हर बातों को लोगों से कह पाते हैं.ये कला पूरे विश्व मे व्यापक कला है.अपनी बातों को आसानी से दूसरों तक पहुंचाने की यही वजह है कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पुतुल महोत्सव का आयोजन हुआ है.
रिपोर्ट-अभिषेक जायसवाल-वाराणसी
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