रिपोर्ट : रोहित भट्ट
अल्मोड़ा. आजकल के जमाने में अपनों का सहारा तो बन नहीं पाते लोग, बेजुबानों की बात कौन करे. लेकिन उत्तराखंड के अल्मोड़ा में एक महिला हैं जिन्हें इन बेजुबानों की खूब चिंता है. इस महिला का नाम है कामिनी कश्यप. उम्र 56 साल. उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचकर भी उनके मन और तन में इतनी संवेदना और ताकत बची है कि वे बेजुबान जानवरों का सहारा बनी हुई हैं.
जी हां, कामिनी उन निराश्रित जानवरों को सहारा देती हैं, जो घायल होते हैं. न्यूज18 लोकल से खास बातचीत में कामिनी कश्यप ने बताया कि वे बचपन से ही इन बेजुबान जानवरों को सहारा देती आ रही हैं. वे अपनी माता देवकी देवी को देखते हुए बड़ी हुई हैं और उनके साथ वह भी काम करती थीं. कामिनी कश्यप ने बताया कि वह उन आवारा और बेजुबान जानवरों को पालती हैं, जो घायल होते हैं. वह उन्हें या तो घर लेकर आती हैं या फिर उन्हें कोई उनके घर में इलाज के लिए छोड़ जाता है.
कामिनी कश्यप ने अपने घर में बेजुबान जानवरों को छत दी है. 56 साल की उम्र में भी वह बेजुबान जानवरों की देखभाल करती हैं. वर्तमान में उनके पास करीब 65 कुत्ते हैं. इसके अलावा गाय, बैल और भैंस मिलाकर 29 गोवंश हैं. तीन-चार बकरियां भी उन्होंने रखी हैं. उन्होंने बताया कि जितने भी जानवर यहां हैं, ये सब घायल अवस्था में उन्हें मिले या फिर कोई इनको उनके घर छोड़कर चला गया.
कामिनी कश्यप ने इन बेजुबान जानवरों को रखने के लिए अपने घर के पास शेल्टर बनाया है, जहां वे इन बेजुबान जानवरों को रखती हैं. कामिनी बताती हैं कि इन जानवरों को पालने के लिए कहीं से मदद नहीं मिलती है, वे खुद के ही संसाधनों से इनको पालती हैं. इसके अलावा कामिनी के परिवार के तमाम लोग भी उनकी मदद करते हैं. वे सुबह से ही साफ-सफाई कर इन जानवरों की सेवा में लग जाती हैं और इनके खाने-पीने के साथ-साथ अन्य चीजों की व्यवस्था भी करती हैं.
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