प्रतीकात्मक फोटो
उत्तराखंड का शिक्षा विभाग तमाम नियमों को ताक़ पर रखता है. विभागीय अफसरों की कारगुजारी से कैग रिपोर्ट में पर्दा उठ गया है. विभागीय लापरवाही से लेकर करोड़ों की बर्बादी पर कैग ने खुलासा किया है और बताया है कि कैसे अनिवार्य शिक्षा के मानकों को दरकिनार कर दिया गया.
उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में बड़ी गड़बड़ी का कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है. 31 मार्च 2016 को समाप्त हुये वित्तीय वर्ष से जुड़ी कैग रिपोर्ट के मुताबिक 7 करोड़ 7 लाख की धनराशि दो साल से इस्तेमाल नहीं की गई. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों के प्रवेश को लेकर लक्ष्य तय नहीं किये गये थे. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति जांचे बिना 45 लाख की धनराशि बांट दी गई. 19 लाख की धनराशि ऐसे संस्थानों को दे दी गई जो अयोग्य थे. आवश्यक ढांचागत सुविधाएं देने में भी विभाग फिसड्डी रहा. 77 फीसदी नये स्कूलों का निर्माण,27 फीसदी क्लासरूम और 26 फीसदी स्कूलों का पुनर्निर्माण नहीं कराया जा सका.
कैग ने ऑडिट के लिये देहरादून,टिहरी और ऊधमसिंह नगर जिलों का चयन किया था. हर जिले के चार विकास खंड के 30 स्कूलों का चयन किया गया और सरकारी कारगुजारी से पर्दा उठ गया. कैग की टीम ने स्कूलों के बारे में तमाम जानकारी शिक्षा विभाग से जुड़े कार्यालयों से जुटाई जिसमें अहम तथ्य सामने आये.
कैग रिपोर्ट में इन बातों पर भी फोकस
#आरटीई एक्ट के तहत कमजोर वर्ग के बच्चों का चिन्हीकरण नहीं
#देहरादून जिले के 07,ऊधमसिंह नगर में 109 स्कूल बिना मान्यता के चल रहे थे
#देहरादून के 192, टिहरी के 314, यूएसनगर के 409 स्कूलों में शिक्षकों के पद मानकों से अधिक
#शिकायत निवाऱण समिति का भी नहीं किया गया गठन
फिलहाल कैग रिपोर्ट विधानसभा में रखे जाने के बाद सरकार भी गंभीरता दिखा रही है. कई विभागों में हड़कम्प की स्थिति बनी हुई है. सरकार नियमों के मुताबिक कार्रवाई की बात कह रही है. विभागीय मन्त्री अरविन्द पाण्डेय कहते हैं कि सरकार गंभीर है जल्द बदलाव नजर आयेगा.
कैग रिपोर्ट ने शिक्षा विभाग की परत दर परत कलई खोल कर रख दी है. विभाग कैसे बिना मान्यता के स्कूलों को मालामाल बनाता है और कैसे करोड़ों की रकम नियमों को ताक़ पर रखकर पानी की तरह बहा दी गई. सवाल ये है कि लापरवाह अधिकारियों पर एक्शन कब होगा और कब सबक लेगा शिक्षा विभाग.
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