अल्मोड़ा में जब तक चलता रहा विवाद, तनकर खड़ा रहा रावण
रिपोर्ट : रोहित भट्ट
अल्मोड़ा. इस बार भी अल्मोड़ा का दशहरा चर्चा में रहा. हालांकि यह चर्चा सांस्कृतिक ऊंचाई के लिए नहीं बल्कि उस विवाद के कारण हुई जो दो समितियों के बीच पनपा था. इसका नतीजा हुआ कि पूरे भारत में 5 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया गया, लेकिन अल्मोड़ा में यह 6 अक्टूबर को मन पाया.
दरअसल, अल्मोड़ा में अलग-अलग क्षेत्र के लोग रावण परिवार के पुतले बनाते हैं. इस बार 22 पुतले तैयार किए गए थे. हर साल लाला बाजार के निवासी रावण का पुतला बनाते हैं. दशहरा पर रावण परिवार के पुतलों को नगर में घुमाया जाता है. इस बार भी ऐसा ही किया गया. इस बीच अचानक रावण का पुतला बनाने वाले लाला बाजार के लोगों और देवांतक का पुतला बनाने वाले राजपुरा के लोगों के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई और देखते ही देखते विवाद बढ़ गया.
लाला बाजार के लोगों ने दशहरा समिति से राजपुरा टीम के एक व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा. काफी देर तक मामला गरमाता रहा. रावण के पुतले और राम डोले को बाजार में नहीं लाया गया. काफी देर बाद लाला बाजार के लोगों को समझाने-बुझाने के बाद पुतले को बाजार में भ्रमण के लिए लाया गया. स्टेडियम में पहुंचते ही दशहरा समिति और लाला बाजार के लोगों के बीच फिर कहासुनी हो गई और रावण के पुतले और राम डोले को स्टेडियम से वापस ले जाया गया.
लाला बाजार में विरोध के तौर पर रावण का दसवां सिर और उसके बाल जलाए गए और फिर पुतला वहीं खड़ा कर दिया गया. प्रशासन ने दशहरा समिति और लाला बाजार के पदाधिकारियों को समझौते के लिए उन्हें बुलाकर बैठक की और आखिरकार 6 अक्टूबर को शिखर तिराहे के पास रावण के पुतले का दहन किया गया.
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