रिपोर्ट: रोहित भट्ट
अल्मोड़ा. उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किलोमीटर की दूरी पर विकासखंड धौलादेवी है. यहां राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला है. इस प्राथमिक विद्यालय में करीब 14 बच्चे पढ़ते हैं. यहां के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके, इसके लिए यहां के प्रधानाध्यापक भास्कर जोशी लगातार बच्चों को नए-नए तरीके से पढ़ाई करा रहे हैं. अब बच्चों का फर्राटेदार संस्कृत बोलते हुए वीडियो सामने आया है. सोशल मीडिया पर इस वीडियो को काफी सराहा जा रहा है.
संसार की उपलब्ध भाषाओं में संस्कृत प्राचीनतम है. इस भाषा में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का बहुत बड़ा भंडार है. वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक इस भाषा में रचनाएं होती रही हैं और साहित्य लिखा जाता रहा है. हमारे देश की लगभग सभी भाषाएं संस्कृत से जुड़ी हुई हैं. मौजूदा दौर में शहरों में जहां इस भाषा को अनदेखा किया जा रहा है, वहीं बजेला के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के बच्चे संस्कृत सीख रहे हैं और फर्राटेदारसंस्कृत बोल भी रहे हैं. स्कूल के बच्चों का संस्कृत बोलते हुए एक वीडियो सामने आया है.आज के समय में जब संस्कृत भाषा स्कूलों से गायब होती जा रही है, ऐसे में इस तरह के वीडियो इस भाषा के प्रति उम्मीद की एक किरण जगाते हैं.
फर्राटेदार संस्कृत
स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे फर्राटेदार संस्कृत बोल रहे हैं, जिसको देखकर लोग सोशल मीडिया में इन बच्चों और स्कूल के शिक्षकों की सराहना कर रहे हैं.आखिर संस्कृत भाषा में बच्चे जो बोल रहे हैं, उसका मतलब क्या है, आइए हम आपको बताते हैं.
क्या खास है इस वीडियो में
‘न्यूज 18 लोकल’ से बातचीत करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक भास्कर जोशी ने बताया कि कक्षा 4 और 5 के छात्रों द्वारा संस्कृत भाषा में वीडियो बनाया गया. इसमें बच्चे जंगल के पशु-पक्षी बनकर बारिश नहीं होने की वजह से मिलकर बादलों को प्रसन्न कर रहे हैं. वीडियो में बच्चे शेर, हिरन, कौवा, चातक, मेंढक और हाथी का रोल कर रहे हैं. बारिश नहीं होने की वजह से कौवा अन्य पशुओं से कहता है कि चातक से प्रार्थना करने के लिए कहो और मेघों यानी बादलों को खुश करो. पर चातक पक्षी कहता है कि आकाश में बादल ही नहीं हैं, तो किस से प्रार्थना करूं.
बच्चों की हो रही तारीफ
तभी मेंढक टर्र-टर्र की ध्वनि करके बादलों को खुश करने का प्रयास करता है. हाथी अपनी सूंड उठाकर शंख ध्वनि करता है. इस तरह बादल प्रसन्न हो जाते हैं और सभी जानवरों के कष्ट हरते हुए वर्षा प्रदान करते हैं. सभी जानवर बहुत खुश हो जाते हैं और नृत्य करके मेघों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. सोशल मीडिया पर लोग बच्चों की काफी तारीफ कर रहे हैं.
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