रिपोर्ट-रोहित भट्ट
अल्मोड़ा. डिजिटल के जमाने से हर पीढ़ी के लोग खुद को इससे खुद को जोड़ रहे हैं. अगर बात की जाय बच्चों की पढ़ाई की, तो अब डिजिटल स्टडी की ओर बच्चों का ज्यादा रुझान है, पर उत्तराखंड के अल्मोड़ा में ऐसे बच्चे भी हैं, जो डिजिटल के जमाने में भी किताबों से ज्ञान ले रहे हैं. आज हम आपको लेकर आए हैं अल्मोड़ा के राजकीय जिला पुस्तकालय में. आपको यह सुनकर बड़ी हैरानी होगी कि यहां के बच्चे किताबों की इस दुनिया के बीच करीब 8 से 9 घंटे हर रोज बिताते हैं. ’न्यूज़ 18 लोकल’ ने जब यहां जाकर देखा, तो बच्चे यहां काफी संख्या में किताबें पढ़ते हुए नजर आए.
अल्मोड़ा की लाइब्रेरी सुबह 8 बजे से लेकर शाम 6ः30 बजे तक खुली रहती है. कई छात्र सुबह 8 ही बजे लाइब्रेरी पहुंच जाते हैं. यहां के कर्मचारी ने बताया कि लाइब्रेरी में रोजाना 100 से 150 बच्चे किताबें पढ़ने के लिए पहुंचते हैं. जो आजकल के डिजिटल जमाने में सभी को हैरान करने वाली बात है.
छात्र हरिप्रसाद द्विवेदी ने कहा कि वर्चुअल चीज वर्चुअल ही होती है, पर किताबों का अपना अलग ही महत्व है. टेक्नॉलॉजी आखिर कितनी ही बढ़ जाए, पर किताबों को पढ़ने वाले लोग पहले भी थे और अब भी हैं और आने वाले समय में भी लोग किताबों से ज्ञान अर्जित करेंगे.
छात्र ओमप्रकाश ने कहा कि यह आपकी चॉइस है कि आप डिजिटल की ओर जाना चाहते हैं या फिर किताबों की ओर. उन्होंने बताया कि उनकी रुचि किताबों में है. किताबें आपके ज्ञान को और आपकी पढ़ने की क्षमता को बढ़ाती हैं, जिससे आप हर दिन कुछ न कुछ नया सीखते हैं.
छात्रा प्रज्ञा तिवारी ने बताया कि लाइब्रेरी में ज्यादा बच्चे आने से कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है. डिजिटल का प्रयोग वहां के लिए ठीक है, जहां आपके पास रिसोर्स कम हैं, पर किताबें पढ़ने से आपको पढ़ने, लिखने और समझने को बहुत कुछ मिलता है, जो डिजिटल में आपको नहीं मिल पाता है. वह रोजाना 8 से 9 घंटे किताबों के बीच बिताती हैं.
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