रिपोर्ट: रोहित भट्ट
अल्मोड़ा: एक आम नागरिक भी जब काम से थका-हारा घर लौटता है तो आराम ढूंढता है. लेकिन जब बात पुलिस की नौकरी की हो तब ड्यूटी का कष्ट और भी बढ़ जाता है. 12 घंटो से भी ज्यादा मानसिक और शारीरिक श्रम करने के बाद जब कोई पुलिसकर्मी अपनी बैरक में जाए और वहां भी उसे सुकून न मिले तो सोचिए उस पर क्या गुजरती होगी.
उत्तराखंड पुलिस को मित्र पुलिस भी कहा जाता है, लेकिन अल्मोड़ा में मित्र पुलिस के जवान मजबूर हैं. यहां के बैरक देखने बाद आप भी उनकी मजबूरी का अंदाजा आसानी से लगा लेंगे. ‘न्यूज़ 18 लोकल’ की टीम ने जब इन बैरकों का हाल देखा उसकी बदहाली की कहानी खुद ब खुद सामने आ गई. पुलिस के जवान इन बदहाल बैरकों में रहने के लिए मजबूर हैं.
बारिश में बढ़ जाती है मुसीबत
अल्मोड़ा कोतवाली में करीब 70 जवान तैनात हैं और उनमें से कुछ जवान इन बैरकों में रहते हैं. इन बैरकों के टूटे फर्श, टपकती छत और क्षतिग्रस्त दीवारें बयां करती हैं कि यहां रहने वाले जवान किन हालातों में समय गुजारते होंगे. बारिश के दिनों में तो यहां मुसीबत और बढ़ जाती है. बैरकों की छत टपकती है तो पानी को रोकने लिए जवान वहां पन्नी लगा देते हैं.
जल्द शुरू होंगे मरम्मत के कार्य
मामले में अल्मोड़ा के एसएसपी प्रदीप कुमार राय का कहना है कि हमारे पूरे प्रदेश में डीजीपी के द्वारा अभियान चलाया गया था कि परी पुलिस लाइन और थाने की बैरकों को मॉडर्न बैरकों में तब्दील किया जाए. उनका निर्देश है कि आने वाले समय में थानों के मेस और उनके टॉयलेट का सुधारीकरण किया जाएगा, जिसको देखते हुए उन्होंने पिछले दिनों ही पुलिस बैरकों का निरीक्षण भी किया था. एसएसपी ने बताया कि देखा जाए तो अल्मोड़ा की कोतवाली का भवन आजादी से पहले का है. वहां जो भी मरम्मत का कार्य होगा जल्द ही उसको ठीक कराने का कार्य शुरू किया जाएगा. इसके अलावा नई बैरकों का भी प्रस्ताव भेजा गया है. जल्द इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल लिया जाएगा.
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