उत्तराखंड के देहरादून में यूं तो सचिवालय कर्मियों के कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं. मगर इस बार मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खुद सचिवालय कर्मचारियों की कार्यप्राणाली पर सवाल खड़ा किया है.
बतौर सीएम सचिवालय कर्मचारियों को फाइलें लटकाने का विशेषज्ञ करार दिया है. सीएम हरीश रावत का कहना है कि वे जहां भी जाते हैं लोग यही कहते हैं कि सचिवालय में अर्जी लगाए हुए एक साल हो गया है लेकिन उनकी अर्जी के मामले में कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
सीएम का कहना है कि लोग यहां तक भी कहते हैं कि जब आप काम नहीं करा सकते हैं तो ना कह देते. उनका कहना है कि प्रदेश में अब वक्त आ गया है कि वर्क कल्चर को विकसित किया जाए.
प्रदेश भर से लोग अपनी शिकायतों को लेकर सचिवालय आते हैं, मगर यहां के अधिकारी शिकायत कर्ताओं को घुमाते रहते हैं. कई-कई सालों से शिकायत कर्ता सचिवालय के चक्कर काट रहे हैं, मगर उनकी समस्याओं का कोई निदान नहीं हो सका है.
लोगों के सचिवालय के चक्कर काटते काटते-काटते जूते घिस गए मगर अधिकारियों ने उनकी फाइलों का निस्तारण नहीं किया. बताया जा रहा है कि सचिवालय कर्मचारियों ने कोरोबारी कार्यशैली को विकसित कर दिया है, जिससे आम लोगों की शिकायतों का निदान पहाड़ सा हो गया है.
बेबस लोग भी काम होने की उम्मीद में सचिवालय के चक्कर काटते जा रहे हैं. यानी पहाड़ की पीडा भी पहाड़ हो गई है. नाकारे अधिकारियों के हवाले अब सचिवालय में काम कराना टेड़ी खीर हो गया है.
अधिकारी लगातार आम आदमी की शिकायतों की अनदेखी कर रहे हैं, जिसका खामियाजा आम लोगों को ही उठाना पड़ रहा है. वहीं सचिवालय संघ का कहना है कि सरकार को ऐसे अधिकारियों को चिन्हित कराना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
मगर सीएम के इस तरह के बयान से सचिवालय की छवि धूमिल हो रही है और जो इमानदारी कर्मी है उनका मनोबल भी टूट रहा है.
ऐसे में बेहतर होगा कि सरकार कोई ठोस प्लान तैयार करे, जिससे नकारे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके और सचिवालय में वर्क कल्चर विकसित हो सके .
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FIRST PUBLISHED : December 15, 2015, 17:38 IST