रिपोर्ट: सोनिया मिश्रा
चमोली: चमोली के जोशीमठ से 18 किलोमीटर दूर अलकनंदा के तट पर स्थित है पांडुकेश्वर. यहां योग ध्यान बद्री मंदिर है. यह पंच बद्री में से एक बद्री हैं. बद्रीनाथ धाम की यात्रा के दौरान श्रद्धालु इस मंदिर में भी दर्शन के लिए आते हैं. शीतकाल में बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद बद्रीनाथजी की उत्सव मूर्ति को योग ध्यान बद्री मंदिर में ही लाया जाता है. शीतकाल में उद्धव, कुबेर और भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा इसी मंदिर में की जाती है.
मान्यताओं के अनुसार, पांडवों के पिता पांडु ने योग ध्यान बद्री में कांस्य मूर्ति स्थापित की थी और इसी स्थान पर पांडवों ने जन्म भी लिया था. राजा पांडु को इसी स्थान पर मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. आज भी भगवान विष्णु की कांस्य प्रतिमा यहां पर है. इसी कारण इस मंदिर को योग ध्यान बद्री के नाम से भी जाना जाता है. पांडुकेश्वर में स्थित यह मंदिर हनुमान चट्टी से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 1,920 मीटर है.
तपस्या से पहले पांडवों ने यहीं पर सौंपा था राजपाट
ऐसा भी माना जाता है कि महाभारत में कौरवों का वध करने के बाद पांडव इसी स्थान पर आए थे. यहीं पर उन्होंने अपना राजपाट राजा परीक्षित को सौंपा था और हिमालय में तपस्या के लिए निकल गए थे. इसके अलावा, राजा पांडु ने अपने अंतिम दिनों में अपने निर्वाण से पहले यहां तपस्या की थी. तांबे की प्लेट और पुराने शिलालेखों में मंदिर के इतिहास और कत्यूरी राजाओं के इतिहास पर काफी जानकारी दर्ज की गई है.
योग ध्यान बद्री मंदिर ऐसे पहुंचे
योग ध्यान बद्री पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. निकटतम हवाई अड्डा देहरादून जौलीग्रांट से गौचर है. सड़क मार्ग बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से भी आप योग ध्यान बद्री के दर्शन कर सकते हैं.
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