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आखिर क्यों बद्रीनाथ में नहीं बजाया जाता शंख? आप भी जानिए इसके पीछे का रहस्य

बद्रीनाथ धाम

बद्रीनाथ धाम

बद्रीनाथ धाम में शंख न बजाए जाने के पीछे यह धार्मिक मान्यता है कि माता लक्ष्मी जब बद्रीनाथ धाम में तुलसी रूप में ध्यान ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: सोनिया मिश्रा

चमोली: हिन्दू धर्म में शंख का विशेष महत्व है. हर शुभ कार्य में पूजा शुरु करने से पहले शंख को बजाने का विधान भी है. शंख बजाने के बाद शंख में पानी डालकर पवित्रता के लिए सभी में छिड़का जाता है. इसके साथ ही साथ भगवान विष्णु के चार हाथों में से एक हाथ में शंख भी आपने देखा होगा. लेकिन क्या कभी सोचा है कि शंख और चक्र जिनके हाथ में हो लेकिन उनके मंदिर में शंख ही न बजता हो.नहीं ना तो यह रिपोर्ट आपको ध्यान से पढ़ना चाहिए.

उत्तराखंड के चमोली जिले में भगवान बद्री विशाल का मंदिर स्थित है, जो आस्था का प्रतीक है और पंच बद्री में से पहले बद्री है. यहां कपाट खुलते ही भक्तों का तांता लगा रहता है .लेकिन आपको यह जानकर हैरानी जरूर होगी कि यह मंदिर भगवान विष्णु का है लेकिन मंदिर में शंख बजाना प्रतिबंधित है. इसके दो कारण है,पहला वैज्ञानिक कारण है और दूसरा धार्मिक मान्यता.

वैज्ञानिक शंख न बजाने के पीछे देते हैं यह तर्क
बद्रीनाथ धाम में बर्फबारी से पूरा बद्री क्षेत्र बर्फ से घिरा होता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस क्षेत्र में शंख बजाया जाता है, तो शंख की आवाज बर्फ से टकराकर प्रतिध्वनि पैदा करेगी, जिससे बर्फ में दरार पड़ने या बर्फीले तूफान की आशंका बन सकती है. इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचेगा. लैंडस्लाइड का खतरा भी हो सकता है, इसलिए बद्रीधाम में शंख नहीं बजाया जाता है.

शंख न बजाने का धार्मिक कारण
बद्रीनाथ धाम में शंख न बजाए जाने के पीछे यह मान्यता है कि, माता लक्ष्मी जब बद्रीनाथ धाम में तुलसी रूप में ध्यान कर रही थीं, तो उसी दौरान विष्णु ने शंखचूर्ण नाम के राक्षस को मार गिराया था. हिंदू धर्म में शुभ काम करने पर शंख बजाया जाता है लेकिन विष्णु ने जब शंखचूर्ण का वध किया, तो यह सोचकर शंख नहीं बजाया कि माता लक्ष्मी (तुलसी)का ध्यान भंग न हो. और यही कारण है कि बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता है.

एक दूसरी कथा के अनुसार कहा जाता है कि अगस्त्य ऋषि केदारनाथ धाम में राक्षसों का वध कर रहे थे, तो उनमें से दो राक्षस अतापी और वतापी वहां से अपनी जान बचाकर भाग गए. उनमें से अतापी ने मंदाकिनी नदी की शरण ली और वतापी शंख के अंदर छिप गया. कहते हैं कि अगर शंख बजाया जाता तो वतापी राक्षस बाहर निकल जाता. इसी वजह से बद्रीनाथ धाम में राक्षस बाहर न निकले, इसके लिए शंख नहीं बजाया जाता है.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

Tags: Chamoli News, Uttarakhand news

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