चंपावत. उत्तराखंड में जाति आधारित भेदभाव स्कूली बच्चों में किस हद तक पैठा हुआ है, इसकी बानगी फिर एक बार चंपावत में नज़र आई. एक बार फिर सरकारी स्कूल में कथित अगड़ी जाति के छात्रों ने मिड डे मील का बहिष्कार इसलिए कर दिया कि भोजन पकाने वाली दलित समुदाय से ताल्लुक रखती है. पिछले साल दिसंबर के महीने में इसी तरह का विवाद हो चुका है और इस बार स्कूल के प्रिंसिपल ने इस बहिष्कार को रोकने के मकसद से सात छात्रों को टीसी थमाने का कदम उठाया.
चंपावत ज़िले के इस सरकारी स्कूल के प्राचार्य ने कहा कि शुक्रवार 20 मई को फिर 7 से 8 बच्चों ने भोजनमाता सुनीता देवी द्वारा बनाए गए भोजन को खाने से इनकार किया. कई खबरें बता रही हैं कि इस मामले में सिंह ने 7 बच्चों को स्कूल से निकालने के लिए मजबूरन टीसी थमाने का कदम उठाकर चेतावनी दी ताकि इस तरह का बहिष्कार खत्म हो सके. दिसंबर 2021 में अगड़ी जाति के छात्रों के भोजन के बहिष्कार के बाद सुनीता देवी की नियुक्ति को लेकर विवाद हुआ था, लेकिन उनकी नियुक्ति बहाल हो गई थी.
इस हालिया विवाद के बाद चंपावत के डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी ने बहिष्कार करने वाले बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर उनसे बातचीत की और समझाइश दी कि वो सुनिश्चित करें कि छात्र मिड डे मील करें. आज 21 मई को भी डीएम और कुछ पुलिस अफसरों ने छात्रों के साथ भी मीटिंग कर उन्हें बहिष्कार न करने के लिए समझाया. यही नहीं कुछ अधिकारियों ने स्कूल में भोजन भी किया.
बच्चों का इनकार और प्रिंसिपल की सफाई
डीएम और अधिकारियों की तमाम कवायद के बावजूद इंडियन एक्सप्रेस की खबर कहती है कि ये बच्चे अब भी मिड डे मील से इनकार कर रहे हैं और उनका कहना है कि वो चावल नहीं खाते. इंटर कॉलेज में इस स्थिति पर टीसी थमाने वाले प्राचार्य के हवाले से अन्य खबरों में कहा गया कि उन्होंने सिर्फ चेतावनी के रूप में टीसी दी है, अभी स्कूल से इन बच्चों को बर्खास्त या बेदखल नहीं किया गया है.
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